सिंगरौली 17 मार्च। मोरवा अंचल के यूपी बार्डर के समीप खनहना बैरियर एक पखवाड़े से चर्चाओं व विवादों में घिर गया है। आरोप है कि हाल ही खनहना बैरियर में पदस्थ आरटीआई के द्वारा माल वाहक वाहनों से मनमाना सुविधा शुल्क वसूल रहा था जिसको लेकर कल मंगलवार की रात 9 बजे से ट्रांसपोर्टर व माल वाहक के मालिकों ने परिवहन कार्य पूरी तरह से रोक दिया। करीब 16 घण्टे से अधिक समय तक परिवहन कार्य ठप होने से करीब 5 सौ से अधिक वाहनों की लंबी कतारें एमपी-यूपी सीमा पर लगी हुई थी।
दरअसल सूत्र बताते हैं कि खनहना बैरियर पर पिछले सप्ताह एक नये आरटीआई की पदस्थापना हुई और आरटीआई आते ही अपने मातहत प्राइवेट व्यक्तियों से माल वाहक वाहनों से 2 हजार से 5 हजार रूपये प्रति चक्कर की वसूली कराने लगे। इसका जब वाहन चालकों व मालकों व ट्रांसपोर्टरों ने विरोध करने लगे तो उनके साथ अभद्रता पर उतारू हो जाते थे। आरोप है कि आरटीआई के गुर्गों ने कई माल वाहक वाहनों के चालकों के साथ मारपीट भी किये हैं। इसकी लगातार मिल रही शिकायतें एवं मनमाना वसूली से तंग होकर आक्रोशित वाहन चालकों व ट्रांसपोर्टरों ने खनहना बैरियर के आस-पास वाहनों को खड़ा कर परिवहन कार्य पूरी तरह से ठप कर दिया। मंगलवार की रात 9 बजे से एमपी-यूपी की ओर वाहनों का आना-जाना पूरी तरह से बंद हो गया था। जब मामले की जानकारी पुलिस तक पहुंची तो मोरवा एसडीओपी राजीव पाठक व टीआई मनीष त्रिपाठी ने इसकी जानकारी पुलिस अधीक्षक को दिया।
बता दें कि बुधवार को कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर एसडीएम, तहसीलदार सिंगरौली, मोरवा एसडीओपी व टीआई ने खनहना बैरियर पहुंचे। इस दौरान बैरियर में तैनात अमला नदारत हो गया था। कड़ी मशक्कत के बाद माल वाहकों के मालिकों को बैठाकर समझाईश दी गयी तब कहीं बुधवार की देर शाम करीब 6 बजे बात बन पायी और माल वाहक वाहन अपने कार्य में लग गये। फिलहाल यही आरोप है कि खनहना बैरियर के आरटीआई व उनके गुर्गों के द्वारा की जा रही अवैध वसूली से तंग आकर ट्रांसपोर्टरों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
एमपी-यूपी बार्डर पर सैकड़ों वाहनों की लग गयी थीं कतारें
मंगलवार की रात 9 बजे से ही एमपी-यूपी के खनहना बैरियर पर छोटे-बड़े माल वाहकों के पहिए थम गये थे। आलम यह था कि करीब 3 किमी से अधिक दूरी तक जाम लगा हुआ था। तो वहीं यह भी बताया जा रहा है कि बैरियर में तैनात आरटीआई व उनके गुर्गे इस हालात को देख नौ दो ग्यारह हो गये थे। उन्हें इस बात का डर था कि ट्रांसपोर्टर विवाद कर बैठेंगे। वहीं सूत्र बताते हैं कि कई वाहन चालकों ने एसडीएम, तहसीलदार व एसडीओपी को बयान में बताया है कि बैरियर पर दो से पांच हजार रूपये प्रति ट्रिप शुल्क जमा करने का दबाव बनाया जा रहा था। ऐसा न करने पर कार्रवाई करने की धमकी व मारपीट की स्थिति बनने लगी थी। उधर इस संबंध में यह भी जानकारी मिली है कि आरटीओ जहां इस कारनामें से बेसुध हैं तो वही आरटीआई भी मुख्यालय से बाहर होना बताकर अपने आपको बचने का प्रयास किया है।
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