केरोसीन तेल के खेल को विके्रताओं ने खोल दिया पोल,कलेक्टर के निर्देश के बाद लीपापोती का शुरू हुआ खेल, खाद्य महकमे की भूमिका संदिग्ध
सिंगरौली 2 फरवरी। कोई माने या न माने जिले में केरोसीन तेल का खेल व्यापक पैमाने पर चल रहा है। इस खेल में खाद्य महकमे के साथ-साथ केरोसीन तेल माफियाओं की भूमिका अहम बतायी जा रही है। आज जिला मुख्यालय में पहुंचे सरकारी उचित मूल्य दुकान के कई विक्रेताओं ने तो खुलकर इस तेल के खेल को उजागर कर दिया है। वहीं कलेक्टर के निर्देश के बाद जांच में लीपापोती के प्रयास भी शुरू कर दिया गया है। ताकि जांच भी हो जाय और किसी पर आंच न आये नहीं तो कई अधिकारी व तेल माफिया नप जायेंगे।
दरअसल सिंगरौली जिले मेें केरोसीन कालाबाजारी का खेल व्यापक पैमाने पर चल रहा है।इस खेल में सफेदपोशधारी से लेकर विभाग के कुछेक कर्मचारी संलिप्त हैं। जहां केरोसीन माफियाओं से सांठ-गांठ कर दुकानों में बेंच दे रहे हैं। चितरंगी एवं बैढऩ ब्लाक के कई उचित मूल्य दुकानों के द्वारा दिसम्बर-जनवरी महीने के केरोसीन का वितरण उपभोक्ताओं को नहीं किया। उन्हें आवंटन न मिलने का बहाना बताकर धता पढ़ा दिया था। जबकि खाद्यान्न के साथ-साथ केरोसीन का आवंटन भी मिला था। लेकिन खाद्य विभाग के एक अधिकारी ने कई कथित विक्रेताओं को कार्रवाई का धौंस दिखाकर पीओएस मशीन में रिसीविंग का अंगूठा लगवाकर अपने मकसद में कामयाब हो गये। इसका खुलासा विन्ध्य न्यूज ने जब किया तो खाद्य महकमे व केरोसीन माफियाओं में हड़कम्प मच गया। सूत्र बताते हैं कि अब तक क़रीब एक लाख लीटर केरोसिन विभाग कालाबाजारी कर चुका है।
कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश देते हुए दो दिन के अंदर प्रतिवेदन जहां मांगा है तो वहीं कई विक्रेताओं ने आज विंध्य न्यूज की खबर को बल भी दे दिया है। जिला मुख्यालय में ज्ञापन सौंपने आये कई विक्रेताओं ने ऐलान के साथ जो खुलासा किया है वह चौकाने वाला है। कई विके्रताओं ने मीडिया कर्मियों से चर्चा के दौरान साफ तौर पर कहा है कि आवंटन भले ही आता रहा हो, लेकिन हम लोगों के दुकान तक केरोसीन नहीं पहुंचा है। विक्रेताओं के द्वारा जब विभाग के पोल को खोला तो वहां मौजूद लोग भी हैरत में पड़ गये। फिलहाल यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। चर्चाओं के मुताबिक कई समिति प्रबंधक विभाग के अमले को बचाने के लिए जांच में लीपापोती करना शुरू कर दिये हैं।
आवंटन दो हजार लीटर मिलता है दो सौ लीटर
जिला मुख्यालय बैढऩ में मंगलवार को ज्ञापन सौंपने आये एक विक्रेता ने खुलकर ऐलानिया बोला कि केरोसीन का आवंटन 2 हजार लीटर का मिलता है लेकिन दुकान तक 200 लीटर ही पहुंचता है। 18 सौ लीटर केरोसीन कौन पी जा रहा है इसका जबाव पूछे जाने पर उल्टा फटकार व कार्रवाई की धमकी मिलती है। यह समस्या आज से नहीं कई महीने से है। विभाग के अधिकारी सब कुछ जानते हुए महाभारत के धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रहे हैं। विक्रेता ने कलेक्टर के द्वारा दिये गये जांच को जायज ठहराया है और कहा कि इसकी निष्पक्ष जांच हो तो बहुत कुछ रहस्य सामने आ सकता है।
खाद्य निरीक्षक विक्रेताओं पर बना रहा दबाव
खाद्य विभाग का एक चर्चित व विवादास्पद निरीक्षक दो दिनों से अचानक सक्रिय होकर विक्रेताओं पर कार्रवाई का धौंस दिखाते हुए केरोसीन के आवंटन की पावती देने का दबाव बना रहा है। ऐसा न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है। निरीक्षक इस हद तक आ गया है कि विभाग की साख बचाने के लिए लगातार विके्रताओं से संपर्क कर हर हथकंडे अपना रहा है। कई विक्रेताओं ने उसकी बातों को अनुसूनी कर अपनी नौकरी बचाने व विक्रेताओं के माथे पर खाद्यान्न कालाबाजारी का लगने वाले कलंक के धब्बे को मिटाने के लिए इस बार लामबंद हो रहे हैं। ताकि इस बात का पता चल जाय कि इस खाद्यान्न कालाबाजारी कराने में विक्रेता नहीं बल्कि विभाग के कुछ अधिकारी शामिल हैं।
रजमिलान समिति में अक्टूबर से नहीं पहुंचा केरोसीन
विक्रेता संघ के जिला सचिव संजय पाण्डेय ने केरोसीन के मामले में विभाग पर गंभीर आरोप लगाया है और कहा कि रजमिलान समिति में कहीं अक्टूबर कई नवम्बर तो कहीं दिसम्बर महीने से केरोसीन नहीं पहुंच रहा है। इस समस्या से हर कोई विभाग का अमला वाकिफ है। मजाल क्या है कि कोई विरोध कर दे। विक्रेता संघ के सचिव ने कलेक्टर के जांच का स्वागत करते हुए कहा कि उपभोक्ता एक-एक लीटर केरोसीन पाने के लिए तरस रहे हैं। आरोप यही लगता है कि विक्रेता बाजारों में केरोसीन बेंच दे रहे हैं। जबकि सच्चाई यही है कि केरोसीन की कालाबाजारी चरम पर है।
2 Comments
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