सिंगरौली 31 जनवरी। गरीबों को मिलने वाला केरोसिन से चितरंगी एवं जनपद बैढऩ क्षेत्र के कई सरकारी उचित मूल्य दुकानों में दो महीने का केरोसीन कहां चला गया यह मामला अब धीरे-धीरे तूल पकडऩे लगा है। हालांकि सरकारी तंत्र व केरोसीन माफियाओं ने अपने रिकार्डों को चुस्त-दुरूस्त करा लिया है। लेकिन सबसे बड़ी बिडम्बना विक्रेताओं की है। फिलहाल केरोसीन की कालाबाजारी को लेकर खाद्य विभाग के अमले की कार्यप्रणाली पर ऊंगली उठने लगी है।
दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में केरोसीन तेल के कालाबाजारी का खेल व्यापक पैमाने पर वर्षों से चला आ रहा है। बीच में कुछ दिनों तक अंकुश लगा था। किन्तु कथित अधिकारियों की हरी झण्डी मिलते ही एक बार फिर से केरोसीन माफिया सक्रिय हो गये हैं। सूत्रों के अनुसार दिसम्बर एवं जनवरी महीने में केरोसीन का आवंटन लाखों लीटर जिले के सरकारी दुकानों के लिए हासिल हुआ था। परिवहन दिखाते हुए विक्रेताओं ने भण्डारण का पावती भी दे दिया। लेकिन चितरंगी एवं बैढऩ जनपद क्षेत्र के कई सरकारी उचित मूल्य दुकान के विक्रेताओं ने केरोसीन का वितरण ही नहीं किया। उपभोक्ताओं को यही जबाव देते चले आये कि आवंटन के अभाव में केरोसीन नहीं मिला है। दो महीने तक किसी तरह हितग्राही ढाढ़स बांध रखे थे लेकिन अब उनके सब्र का बांध टूटने लगा और जब इसकी शिकायत शुरू होने लगी तो कुछेक सरकारी उचित मूल्य दुकान के विक्र्रेताओं ने भ्रष्टाचार कथित विभागीय अधिकारी के क्रियाकलापों का दु:खड़ा सुनाने लगे। एक अधिकारी ने कई उचित मूल्य दुकान के विक्रेताओं के यहां सीधे फोन लगाकर केरोसीन भण्डारण की रिसीविंग देने के लिए दबाव बना रहा है। ऐसा न करने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी भी दे रहा है।
अधिकारी पहले भी अपनी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चाओं में बना हुआ था। एक बार फिर से संबंधित अधिकारी की पोल खुलने लगी है। सूत्र ने यहां तक बता रहे हैं कि संबंधित अधिकारी केरोसीन माफियाओं से सांठ-गांठ कर रखा है और वह भारी भरकम रकम भी इसी आड़ में कमा रहा है। हालांकि इसकी जानकारी कलेक्टर तक पहुंच गयी है। कलेक्टर ने उक्त मामले की जांच कराने के लिए कहा है, लेकिन दो महीने का केरोसीन कहां चला गया इस बात को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किये जा रहे हैं। वहीं उपभोक्ताओं भी अब मुखर होने लगे हैं। फिलहाल जिले में सक्रिय केरोसीन माफिया को लेकर एक बार फिर से इनकी सक्रियता को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
फरवरी महीने के केरोसीन में भी गड़बड़झाला करने की तैयारी
जानकारी के अनुसार फरवरी महीने के लिए सरकार से केरोसीन आवंटन मिलने की चर्चा है। लेकिन सरकारी उचित मूल्य दुकानों तक केरोसीन न पहुंचे इसके लिए फिर से गुणा भाग शुरू हो गया है। एक अधिकारी तेल माफियाओं से मिलकर विक्रेताओं पर पूर्व की तरह दबाव बना रहा है। हालांकि इस बार उक्त अधिकारी के करतूत सामने आ जाने के बाद खाद्य विभाग में हलचल बढ़ गयी है। तो वहीं केरोसीन माफिया भी सकते में आ गया है। लेकिन कहा जा रहा है जब तक कलेक्टर इन पर शिकंजा नहीं कसेंगे तब तक विक्रेताओं पर दबाव बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। प्रबुद्ध नागरिकों ने कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कार्रवाई किये जाने की मांग की है।
शक्कर वितरण में भी गोलमाल
केरोसीन के बाद शक्कर वितरण में भी गोलमाल की बू आ रही है। कई हितग्राहियों ने आरोप लगाया है कि विके्रता शक्कर नहीं देते। आवंटन न मिलने का बहाना बताकर हितग्राहियों को खाली हाथ लौटा देते हैं। जबकि दिसम्बर, जनवरी महीने में बैढऩ, चितरंगी, देवसर, नगर निगम क्षेत्र के लिए शक्कर का आवंटन खाद्य नागरिक आपूर्ति के माध्यम से खाद्य विभाग को मिला था। आखिरकार अधिकांश विके्रता शक्कर प्राप्त करने के बावजूद उपभोक्ताओं को वितरण क्यों नहीं कर रहे हैं इसकी पूछ परख करने वाला खाद्य विभाग का अमला दूर-दूर तक नजर नहीं आता।
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