कई बार ऐसा होता है कि लोग बाजार से नकली घी लेकर आते हैं और हमे असली लगता है। इससे सेहत को काफी नुकसान पहुंचता है। नकली घी से गंदी स्मैल भी आती है। नकली घी खाने से आपके लीवर को बहुत नुकसान होता है। लीवर के काम करने की शक्ति धीरे धीरे कम हो जाती है और लीवर से जुड़े रोग हो जाते हैं।
घी आमतौर पर सभी घरों में प्रयोग किया जाता है। घी में हर बीमारी का इलाज होता है, चाहे खाने में स्वाद बढ़ाने की हो या फिर दवा के रूप में कई बीमारियों से छुटकारा पाने की। लेकिन यह तभी संभव है जब घर में आने वाला घी शुद्ध हो क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि लोग बाजार से नकली घी लेकर आते हैं जो सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है।
1. घी असली है या नकली इसकी पहचान करने के लिए सबसे पहले एक गिलास में पानी भरें और उसमें एक चम्मच घी डालें। अगर गिलास में पानी के ऊपर घी आ जाए तो समझ लें कि घी असली है. लेकिन अगर यह पानी में घुल जाए या जम जाए तो समझ लें कि घी में मिलावट की गई है।
2. एक पैन में एक चम्मच घी गर्म करें। अगर घी तुरंत पिघल कर ब्राउन हो जाए तो समझ लें कि यह असली और शुद्ध है। लेकिन अगर घी पिघलने में समय लगे और पिघलने के बाद हल्का पीला हो जाए तो इसका मतलब है कि घी मिलावटी है।
3. एक बर्तन में दो चम्मच घी डालकर उसमें आधा चम्मच नमक और एक चुटकी हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाएं। फिर इसे अच्छे से मिला लें और आधे घंटे के लिए छोड़ दें। अगर आधे घंटे के बाद घी बिना रंग छोड़े दिखाई दे तो समझ लें कि घी असली है। लेकिन अगर घी किसी रंग का लग रहा है तो घी में मिलावट की गई है.
4. कढ़ाई में एक कप घी डालकर अच्छी तरह उबाल लें. फिर घी के पैन को ढककर पूरे दिन के लिए छोड़ दें। यदि घी एक दिन के बाद भी जीवित है और वह सुगंध भी देता है, तो इसका मतलब है कि घी असली है। घी में सुगंध न हो तो घी में मिलावट हो सकती है।
5. सबसे पहले घी को अच्छी तरह गर्म कर लें। फिर इसे कांच के जार में भरकर रख दें और फिर पिघला हुआ घी फ्रिज में रख दें। अगर कुछ देर बाद घी अलग-अलग परतों में दिखाई दे तो इसका मतलब घी में मिलावट की गई है।
6. घी को पिघलाएं और इसमें थोड़ा सा आयोडीन का घोल डालें। अगर घी का रंग बैंगनी हो जाता है तो इसका मतलब है कि घी में स्टार्च मिला दिया गया है।