उमरिया —मानपुर वन विभाग कार्यालय में वन विभाग के ने युवक को दी ‘थर्ड डिग्री‘, पूछताछ के दौरान एक आदिवासी को इतना प्रताड़ित किया कि उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली इस बात की जानकारी ग्रामीणों को लगी तो मानपुर के वन विभाग कार्यालय के सामने शव रखकर सड़क पर प्रदर्शन करने लगे। दरअसल बांधवगढ़ स्थित नेशनल पार्क में बाघ की मौत के मामले में वन विभाग ने कुछ आदिवासियों को पूछताछ के नाम पर मानपुर वन विभाग कार्यालय लाया था। जिसके बाद में वन विभाग पर थर्ड डिग्री टॉर्चर करने का आरोप लगा है। परिजनों ने वन विभाग पर मारपीट सहित करंट लगाने एंव अमानवीय यातनाएं देने का आरोप भी लगाया है, घटना के बाद पुलिस जांच में जुट गई है।
मामला बांधवगढ़ के बफर जोन के वन ग्राम से जुड़ा हुआ है, कुछ दिनो पहले एक बाघ की मौत हो गई थी, जिसकी पूछताछ के लिए रेंजर, डिप्टी रेंजर ने संदेही आदिवासियों को बुलाया और पूछताछ के दौरान थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया गया, जिससे प्रताड़ित होकर सुरेश बैगा ने पेड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, वही अन्य आदिवासियों ने बताया कि एसडीओ मैडम के सामने हमको मुर्गा बनाकर, लाठी डंडे और जूते चप्पलों के साथ साथ करंट लगाकर मारपीट की गई, इनकी मार से परेशान और भयभीत होकर सुरेश ने फांसी लगाई है।
अब वहीं पुलिस इस मौत के मामले में जांच की बात रही है, और दोषी वन कर्मी पर सख्त कार्रवाई की बात कही है जबकि वन विभाग की अमानवीय यातनाएं से भयजदा आदिवासी खौफ में जीने को मजबूर हैं। वन विभाग की कार्यवाही पर सवाल तो खड़े हो ही गये हैं, जिम्मेदार अधिकारी भी मुंह छिपाते फिर रहे हैं।
एक ओर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को बाघों के संरक्षण के लिए देश भर में अव्वल होने का दर्जा प्राप्त है, वही देश में बैगा जनजाति को भी संरक्षित करने का काम सरकार के पास है, लेकिन बांधवगढ़ में बैगा आदिवासियों और जानवरों में आये दिन मुठभेड़ होती है, इस लड़ाई में जंगल में निवास करने वाला आदिवासी घुन की तरह पिसता है और विभाग द्वारा दिये जाने वाली यातनाओं को सहन करता है, लेकिन जब पानी सिर के ऊपर पहुंचता है तो आदिवासी का शव किसी पेड़ पर लटकता हुआ मिलता है, जिसे आत्महत्या करार दे दिया जाता है, अब देखना होगा कि संरक्षित जनजाति को बचाया जायेगा या फिर वर्दी के रौब के आगे आदिवासी युवक की मौत मजाक बन जायेगी।