सिंगरौली — देश की मिनी रत्न कंपनी एनसीएल के जयन्त परियोजना में ओवरबर्डन हटा रही दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के मनेजर देव आशीष चटर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि दिलीप बिल्डकॉन कंपनी में 17 सेक्टर में काम करते हुए 34128 लोगों को रोजगार दिया है । जहां कंपनी का टर्न ओवर 8983 करोड़ रुपए है कंपनी ने एनसीएल के 36 महीने में 1324 लाख मिलियन टन के लक्ष्य को महज 18 महीने में कंप्लीट कर दिया है।
जिले में शिवराज सरकार के स्थानीय लोगों को रोजगार देने का दावा खोखला साबित हो रहा है, असल में यहां काम कर रही एक निजी कंपनी के अधिकारी का दावा है कि भारत सरकार की मिनिरत्न कंपनी एनसीएल से काम के अनुबंध में स्थानीय लोगों को रोजगार देने जैसी कोई शर्त ही नहीं है। ऐसे में प्रदेश सरकार के 50 परसेंट रोजगार देने की सारे दावे झूठे साबित हो रहे हैं।
सरकार का 50 परसेंट रोजगार का दावा खोखला
बताते चलें कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह सरकार 15 साल से राग अलाप रहे हैं कि जिले में स्थानीय उद्योग धंधों में 50 परसेंट स्थानीय लोगों को रखने का दावा कर रहे हैं लेकिन असलियत कुछ और है। सरकार के सारे दावे खोखले हैं। 2 एकड़ के काश्तकारों को नौकरी दी गई है। सरकार की मिनी रत्न कंपनी एनसीएल में ओवरबर्डन हटा रही दिलीप बिल्डकॉन कंपनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि जिले के करीब 1050 लोग काम कर रहे हैं सभी लोग बड़े पदों सहित टेक्निकल हेल्पर में भी काम कर रहे हैं । जयन्त प्रोजेक्ट में 264 निगाही के 418 कार्यरत है।
स्थानीय लोग लगाते हैं रोजगार के लिए चक्कर जिले में भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी एनसीएल की 11 कोल परियोजनाएं हैं और यहां पर कई हजार की संख्या में श्रमिक काम करते हैं सबसे ज्यादा रोजगार यहां स्थानीय लोगों को मिलना चाहिए लेकिन एनसीएल में कोयले के ऊपर मिट्टी हटाने का काम करने वाली कंपनियां स्थानीय लोगों को रोजगार ना देकर बाहरी लोगों को रोजगार देती हैं ऐसे आरोप कई बार इन कंपनियों पर लगते रहे हैं अब ऐसे ही आरोपों से घिरी ओबी कंपनी दिलीप बिल्डकॉन ने स्पष्ट किया है कि एनसीएल से काम के लिए जो उनका एग्रीमेंट हुआ है उसमें किसी भी तरह से यह शर्त नहीं रखी है कि स्थानीय लोगों को रोजगार देना है फिर भी कंपनी स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देती है लेकिन जब 50% की बात आती है तो उसमें अनुबंध ना होने की तर्ज पर स्थानीय लोगों को लाभ नही मिल पाती है सिर्फ एक कंपनी में नहीं बल्कि एनसीएल के सभी प्रोजेक्टों का लगभग यही हाल है इस पूरे मामले पर हालांकि कंपनी के लोग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं और दावा है कि हम लोगों को रोजगार दे हैं वहीं दूसरी तरफ सिंगरौली जिले के स्थानीय निवासी उद्योग के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
पुनर्वास नीति का नहीं हो रहा पालन !
पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन नीति में कई बदलाव हुए हैं व वर्तमान स्वरूप में उभर कर सामने आयी है, जब जब केन्दीय सरकार /अथवा राज्य सरकार ने भूमि-अधिग्रहण कानून में नये प्रावधान प्रभाव में आये है। विस्थापितों को प्रतिकर के अलावा रोजीरोटी के हुए नुकासान की भरपायी के रूप में पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन लाभ प्रदान किये जाने चाहिए। जिसमें स्थायी रोजगार का दिया जाना भी शामिल है ।भू-विस्थापितों और अन्य परियोजना प्रभावितों को उनके नुकसान को प्रतिकर के रूप में भुगतान एवं भरपायी के अलावा एनसीएल की मूल भावना कोयला परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखना और और अधिक मजबूत करना रही है ।
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