सिंगरौली — जिले में दिव्यांग बच्चों के साथ मजाक की बेहद शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है यहां 3 सैकड़ा बच्चे अपना दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए इकट्ठे हुए थे लेकिन मेडिकल टीम महज 30 बच्चों का दिव्यांग प्रमाण पत्र बना कर वापस लौट गई बाकी बच्चे इंतजार करते रहे। सूत्र बताते हैं कि इस शिविर में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से मानसिक रोग से पीड़ित करीब 4 दर्जन से ज्यादा बच्चों का मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बन सका। इस दौरान दिव्यांग सहित दिव्यांगों के परिजन डॉक्टरों के आने का इंतजार करते रहे। शिविर में दिव्यांग बच्चें प्रमाण पत्र नहीं पा सके हाँ दिन भर परेशान जरूर हुए और उनकी उपेक्षा करके चिकित्सक वापस लौट गए।
जिला मुख्यालय बैढन में स्थित जनपद शिक्षा केंद्र में सर्व शिक्षा अभियान के तहत देवसर और बैढन जनपद के 300 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने और सुधरवाने के लिए जिला मुख्यालय बैढन बुलवाया गया था, इसके लिए जिला कलेक्टर के आदेश पर एक शिविर का आयोजन किया गया था शिविर का समय सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक के लिए निर्धारित किया गया लेकिन हैरानी की बात यह है कि मेडिकल बोर्ड में शामिल सरकारी अमला खुद 5 घंटे से ज्यादा देरी के बाद शिविर में पहुंचा बच्चे जहां सुबह से ही इंतजार कर रहे थे लेकिन सरकारी अमला 5 घंटे बाद शिविर में पहुंचा 30 बच्चों के प्रमाणपत्र पत्र देखने के बाद वापस लौट गया
परिजनों ने उपेक्षा का लगाया आरोप दिव्यांग हालांकि ज्यादा कुछ नहीं बोल पा रहे लेकिन इनके साथ आए परिजनों ने बताया कि उन्हें किस तरह से इस शिविर में उपेक्षित किया गया। इस मामले में शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी खुद हैरान है और इस बात को मान रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग के जो जिम्मेदार अधिकारी दिव्यांग बच्चों के परीक्षण के लिए पहुंचे थे वह लेट आए और जल्दी चले गए।
इनका कहना है 100 किलोमीटर दूर महुआ गांव से आई नेत्रहीन बच्चे की मां सुनीता इस आशा और विश्वास के साथ सुबह घर से निकली थी थी आज नेत्र शिविर में उसके बच्चे का मेडिकल सर्टिफिकेट बन जाएगा जिससे सरकार से मिलने वाले दिव्यांग आर्थिक सहायता निधि मैं बेटी का नाम जुड़वा पाएगी लेकिन शिविर में पहुंचने के बाद उसके मंसूबों पर पानी फिर गया। और बच्ची का मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बन पाया।
सुनीता साहू, महुआ गांव परिजन
इनका कहना है सुबह से आए देवसर ब्लॉक के युवक ने कहा कि अपनी भतीजी क मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए शिविर में पहुंचा लेकिन डॉक्टर देर से आए और जल्दी चले गए जिससे भतीजी का मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बन पाया भतीजी बिल्कुल बोल नहीं पा रही। हीरा प्रसाद प्रधान,भरसेड़ी निवासी
इनका कहना है
120 किलोमीटर दूर से आए शिक्षक ने बताया कि 4 बच्चों का मेडिकल परीक्षण कराने के लिए पहुंचे थे लेकिन डॉक्टर एक-दो घंटे के लिए शिविर में पहुंचे जिससे बच्चों का मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बन पाया। मेरे साथ एक बच्चा मानसिक,दो पैर से दिव्यांग जबकि एक कमर से दिव्यांग है लेकिन डॉक्टरों की मनमानी के चलते उन बच्चों का मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बन पाया।
राजवीर कुमार सिंह,शिक्षक
इनका कहना है– 2:30 बजे के आसपास मेडिकल टीम शिविर में पहुंची थी, जहां 30 बच्चों का ही मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया गया इसके बाद टीम चली गई।
संजय श्रीवास्तव – एपीसी – शिक्षा विभाग
दिव्यांगों के साथ डॉक्टरों ने किया भद्दा मजाक, 5 घंटे देरी से आए डॉक्टर, 90 परसेंट दिव्यांगों का नही बना मेडिकल सर्टिफिकेट,देखना यह है कि क्या लापरवाह डाक्टरों पर होगी कार्रवाई
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