सीधी – सीधी जिले के खनिज अधिकारी दीपमाला इन दिनों गुरमेल नाम की माला जप रही है उन्हें मुस्कुराते गांधीजी से इतना प्रेम है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान व एनजीटी के आदेशों को खुली चुनौती देने में भी जरा संकोच नहीं करती हैं! फिर चाहे लोग शिकायत ही क्यों न करें कि जिले के रेत कारोबारी मशीनों से नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं लेकिन मैडम के कानों में जूं तक नहीं रेंगता उन्हें सब कुछ ठीक दिखता है। हो भी क्यों ना मुस्कुराते गांधी जी से सभी के कलेजे को ठंडक जो मिलती है। सवाल यह भी है कि रेत माफियाओं की कार्य गुजारी अधिकारियों समेत नेताओं को भी पता है लेकिन जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि गई इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हैं।
बता दें कि इन दिनों डालापीपर,निधिपुरी,गुड़वाधार भुमका, पोड़ी,गोतरा नदियों में चैन माउंटेन लगाकर नदियों का सीना छलनी किया जा रहा है कई बार मैडम दीपमाला से शिकायत भी की गई लेकिन उन शिकायतों पर सिर्फ कार्यवाही करने की बात कही गई हालांकि कई बार ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो उनके ऊपर खाकी का रौब दिखाकर उन्हें चुप करा दिया गया अब गुरमेल अपने खास गुर्गा पुजारा के दम पर बेतहाशा नदियों से निकासी कर रहा है। खदान क्षेत्रों से लगे गांवों के बेरोजगार युवा पलायन करने को मजबूर हैं अब यदि रेत खदानों में उन्हें रोजगार मिलता तो शायद उन्हें अपना घर परिवार व गांव छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ता।
सभी थानों का रेट फिक्स
जिले में इन दिनो रेत माफियाओं ने सभी थानों का रेट फिक्स कर दिया है कहा जा रहा है कि जितनी रेट की चोरी होती है उतना ही ज्यादा थानों का रेट तय किया जाता है जिले के आधा दर्जन से ज्यादा नदियों में बेतहाशा पोकलैंड मशीन से रेट की निकासी की जा रही है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ रात में ही मशीन नदियों के भीतर जाती हैं बल्कि दिन के उजाले में ही यह पूरा खेल खेला जा रहा है इस पूरे खेल में पुलिस की भूमिका अहम मानी जाती है। हालात ये है कि माफियाओं पर नकेल कसने के दावे करने वाली पुलिस और सरकारी सिस्टम के नाक के नीचे से लगातार बालू माफिया अवैध तरीके से बालू की निकासी कर रहे हैं. बावजूद इसके माफियाओं पर ना ही सिस्टम और ना ही पुलिस कोई कार्रवाई करती नजर आ रही है।
900 फिट की रायल्टी में 1300 फिट ले जा रहे रेत
सूत्र बता रहे है कि रेत माफिया रेत चोरी का अब नया तरीका इजाद कर लिए हैं इसमें पुलिस व खनिज विभाग की सीधे तौर पर संलिप्तता नजर आती है दरअसल रेत माफिया ट्रकों में 900 फिट की रॉयल्टी काटते हैं लेकिन ट्रक में लर (पटरा) लगाकर उसमें 1300 फिट रेत लोड किया जाता है और उसे संबंधित मांग के मुताबिक पहुंचा दिया जाता है माफियाओं की गाड़ियों के खिलाफ ना तो खनिज विभाग और ना ही पुलिस काम करता। वजह साफ है सुविधा शुल्क समय पर मिल जाता है।
पर्यावरण को हो रहा नुकसान
अवैध रेत का दोहन अकेले मझौली उपखण्ड में ही नहीं बल्कि सिहावल व चुरहट में भी भीषण हालात हैं. निधिपुर,गोतरा, भुमका नदी को खनन मफियाओं ने खोखला कर दिया हैं. तो डालापीपर,गुड़वाधार का कमोबेश हालत यही है यहा बेतहाशा रेते का दोहन किया जा रहा हैं. खनन माफिया पैसे के खातिर पर्यावरण को बिगाड़ रहे हैं नदियों के स्वरूप से बड़े स्तर पर छेडछाड़ की जा रही हैं. जो आने वाले समय के लिए किसी बड़ी खतरे की घंटी से कम नहीं हैं.
इनका कहना है
जिले में न केवल मशीनों से नदियों रेत की निकासी की जा रही है बल्कि रेट की चोरी कर करोड़ों रुपए की राजस्व की चोरी की जा रही है। यह सब भाजपा के जनप्रतिनिधि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से ही संभव है। कांग्रेस सामंतवाद प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाती है यदि नहीं रुका तो बड़ा आंदोलन करूंगा।
ज्ञान सिंह ,महामंत्री,मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी