भोपाल — इस समय प्रदेश के समाचार पत्रों में एक ही मुख्य समाचार है कि भास्कर पर आयकर विभाग का छापा इसलिए डाला गया कि भास्कर सही समाचारों का प्रकाशन करता था। इसे कहते हैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना आज देश का प्रजातंत्र खतरे में है इसके लिए देश का मीडिया बहुत हद तक जिम्मेदार है ऐसा मेरा मानना है क्योंकि वर्तमान में देश में जितने भी चैनल है वे सब पूंजीपतियों द्वारा संचालित है और जितने भी अपने आप को बड़ा समाचार पत्र बताते हैं वे भी पूंजी पतियों के अधीन है आज देश में विपक्ष की कही गई बातों को ना तो नेशनल मीडिया दिखाता है और ना ही ये तथाकथित बड़े समाचार पत्र।
बता दे की ऐसा लगता है कि देश में विपक्ष समाप्त हो गया। प्रजातंत्र में यदि विपक्ष नहीं रहेगा तो एक पार्टी सरकार होगी तो चीन और रूस की तरह हाल भारत का भी हो जाएगा और विपक्ष को समाप्त करने के लिए सत्तापक्ष ने मीडिया को अपने कब्जे में कर रखा है। ये मीडिया घराने पत्रकारिता की आड़ में बहुधंधे करने लगे हैं। अब अपनी गैर कानूनी तरीके से कमाए गए धन पर इतराने लगे और मनमानी करने लगे चूकि देश को चलाने वाले जनप्रतिनिधि भी अपने आप को समाचार की सुर्खियों में रखने के लिए इन समाचार पत्रों का सहयोग करने लगे । जिसके कारण यह तथा कथित बड़े समाचार पत्र निरंकुश होकर मनमानी करने लगे क्योंकि समाचार पत्रों की सुरक्षा के लिए राजनीतिक लोग लगे रहते हैं। इसलिए प्रशासन के अधिकारी इन पर कार्रवाई करने में हिचकिचाते हैं।
यहां मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं जो भास्कर समूह पर छापे के विरोध में बयान दे रहे हैं क्या कभी भास्कर मे कार्यरत सैकड़ों पत्रकारों और भास्कर संस्थान में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को शासन द्वारा बनाए गए मजीठिया आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतन देते हैं नहीं इन पत्रकारों का शोषण होता है लेकिन देश की बेरोजगारी को देखते हुए यह पत्रकार मन मसोसकर बड़ी मजबूरी में कार्य कर रहे हैं । यदि कभी श्रम विभाग के निरीक्षक आ भी जाते हैं यह भयभीत कर्मचारी लिख कर दे देते हैं कि हमे सही वेतन मिल रहा है हमें कोई शिकायत नहीं है सच्चाई का बयान करेंगे तो संस्थान से निकाल दिया जाएगा इसके ठीक विपरीत हमारे इसी सतना से निकलने वाले समाचार पत्र के संपादक को पुलिस ने गलत तरीके से जेल भेज दिया कि भास्कर ने एक लाइन शासन के विरोध में नहीं लिखी और ना ही सतना के किसी जनप्रतिनिधि ने आवाज उठाई आज संसद भवन में जनप्रतिनिधि चीख रहे हैं जबकि प्रशासन की आयकर विभाग की कार्यवाही भास्कर समूह के अन्य व्यवसाय की जांच कर रही हैं कानून सबके लिए समान है क्या बड़ा हो या छोटा संस्थान आयकर का समाचारों से क्या लेना देना वह तो काले धन की जांच कर रही है जो छुपाया जा रहा है उसके कारणों की जांच कर रहा है।