सिंगरौली 20 जनवरी। नगर पालिक निगम सिंगरौली के द्वारा हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की बदहाल व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेदारी तो लिया, लेकिन सूरत बदलने में नाकाम साबित हो रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड की नालियां बजबजा रही हैं और सड़क जीर्ण शीर्ण हालत में पड़ी हुई है। लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी बदहाल व्यवस्था को देखने में अपनी नाकामी दिखा रहे हैं।
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आलम यह है कि हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड के अधीनस्थ हुआ करती थी। हाउसिंग बोर्ड के द्वारा उक्त कॉलोनी की व्यवस्था को सही तरीके से सुधारने में उदासीन बना रहता था। जिससे स्थानीय रहवासियों में काफी आक्रोश दिखाई दे रहा था कि विभाग के द्वारा कॉलोनी की साफ-सफाई के साथ-साथ अन्य बुनियादी व्यवस्थाएं नहीं की जा रही हैं। जिसके चलते आये दिन शिकायतों का अंबार लगा रहता था। लेकिन हाउसिंग बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी बेसुध बने रहते थे। यही कारण था कि हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी को नगर निगम सिंगरौली को सुपुर्द कर दिया गया। ताकि उक्त कालोनी में सभी सुविधाएं सुचारू रूप से चल सकें। लेकिन नगर निगम सिंगरौली ने हाउसिंग बोर्ड की जिम्मेदारी तो ले लिया। फिर भी स्थिति हाउसिंग बोर्ड विभाग जैसे ही बनी हुई है।
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स्थानीय रहवासियों की बातों पर गौर करें तो हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कहीं सड़क का नामो निशान दिखाई नहंी दे रहा है। जो वर्षों पूर्व सड़क बनायी गयी थी वही यह संकेत दे रही है कि यही सड़क है। जबकि वर्तमान में सड़क की स्थिति पूरी तरह बदहाल हो चुकी है। यही हाल नालियों का भी बना हुआ है। टूटी-फूटी नाली पड़ी हुई है, जगह-जगह नालियां टूटी होने के चलते सड़क पर ही पानी बह रहा है। कई जगह तो नालियां जाम पड़ी हुई हैं। गंदा पानी बजबजा रहा है। फिर भी नगर निगम के अधिकारी कुंभकर्णीय निद्रा में सो रहे हैं।
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कॉलोनी में रहते हैं वीआईपी
हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी पचखोरा एक वीआईपी कॉलोनी मानी जाती है। उसकी वजह यह है कि उक्त कॉलोनी में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ वीआईपी लोग रहते हैं। इस वीआईपी कॉलोनी की बदसूरत तस्वीर हर किसी को चिढ़ाती हुई दिखाई देती है। जबकि इस कॉलोनी की साज-सज्जा अच्छी होनी चाहिए। इसके बावजूद नगर निगम ने जिम्मेदारी तो ले ली। लेकिन इसकी व्यवस्था को सुधरवाने में पूरी तरीके से नाकाम साबित हो रहा है। स्थानीय लोग कई बार कमिश्रर को पत्र लिख चुके हैं, इसके बावजूद न तो सड़क की व्यवस्था सही तरीके से की जा रही है और न ही नालियों की। आखिर अब स्थानीय रहवासी किसके शरण में जायें।
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3 Comments
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