गोद में उठाकर 160 किलोमीटर पैदल सफर किया तय,सिख परिवार ने नवजात बच्चे के लिए कपड़े और आवश्यक सामान कराया उपलब्ध,
बड़वानी. रविवार को सोशल मीडिया में मदर्स डे की धूम थी। आम से लेकर खास तक सभी अपनी मां की तस्वीर सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे थे और मां के बारे में लिख रहे थे। लेकिन उसके उलट एक मां ऐसी भी है जो बच्चे को जन्म देने के बाद 160 किमी का सफर तय करती है।महिला 70 किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म दिया था। इसमें 4 महिला साथियों ने मदद की थी।
दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को दौर जारी है देश के एक कोने से दूसरे कोने में मजदूरी करने पहुंचे मजदूर लाकडाउन में काम नही मिलने के कारण परेशान होकर पैदल ही अपने घरों की और निकल पड़े है। #बड़वानी जिले के #सेंधवा में भी इस लाकडाउन के दौरान एक मामला सामने आया सेंधवा ग्रामीण थाना प्रभारी वी एस परिहार ने बताया कि महाराष्ट्र के नासिक के पास के गांव में मप्र के सतना से गए मजदूर लौट रहे थे जिसमें 30 वर्षीय गर्भवती महिला शकुंतला भी अपने पति और 4 बच्चो के साथ सतना के समीप ग्राम उचेरा के लिए निकली थी।
मिली जानकारी के मुताबिक सफर के दौरान नासिक और धूलिया के बीच ग्राम पिपरी में शकुंतला को प्रसव पीड़ा होने लगी जिसके बाद साथ में ही चल रही अन्य महिलाओं ने सड़क किनारे ही साड़ियों की आड़ कर शकुंतला को प्रसव कराया जिसमें #शकुंतला ने एक लड़की को जन्म दिया लेकिन सफर काफी लंबा और कठिनाइयों से भरा था जिसके चलते प्रसव के मात्र 1 घंटे बाद ही महिला अपने पति #राकेश और 5 बच्चों के साथ एक बार फिर से सफर पर निकल पड़े मध्य प्रदेश महाराष्ट्र सीमा पर स्थित बिजासन चौकी पर जहां प्रवासी मजदूरों का मेडिकल चेकअप किया जा रहा था। इसी दरमियां पुलिस की नजर इस महिला पर पड़ी जिससे पूछताछ करने पर सारा घटनाक्रम सामने आया ,
70 किलोमीटर चलने के बाद ही हुआ लेबर पेन– 70 किलोमीटर चलने के बाद उसे लेबर पेन हुआ। महिला ने सड़क किनारे एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म के 1 घंटे बाद ही वह अपने बच्चे को गोद में लेकर करीब 160 किलोमीटर पैदल चलकर बिजासन बॉर्डर पर पहुंची। महिला का नाम शकुंतला है। वह अपने पति के साथ नासिक में रहती थी। प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में वह अपने पति के साथ नासिक से सतना के लिए पैदल निकली। नासिक से सतना की दूरी करीब 1 हजार किलोमीटर है। वह बिजासन बॉर्डर से 160 किलोमीटर पहले 5 मई को सड़क किनारे ही बच्चे को जन्म दिया।
सिख परिवार ने नवजात बच्चे के लिए कपड़े और आवश्यक सामान कराया उपलब्ध— शकुंतला के पति राकेश कौल ने कहा कि यात्रा बेहद कठिन थी, लेकिन रास्ते में हमने दयालुता भी देखी। एक सिख परिवार ने नवजात बच्चे के लिए कपड़े और आवश्यक सामान दिए। लॉकडाउन की वजह से नासिक में उद्योग धंधे बंद हैं, इस वजह से नौकरी चली गई। राकेश ने बताया कि सतना जिले के उंचेहरा गांव तक पहुंचने के लिए पैदल जाने के सिवा हमारे पास कोई और चारा नहीं था। हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था इसलिए हमें बस घर जाना था। राकेश ने बताया कि हम जैसे ही पिंपलगांव पहुंचे, वहां पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गया। वहीं, बिजासन बॉर्डर पर तैनात पुलिस अधिकारी कविता कनेश ने कहा कि समूह में आए इन मजदूरों को यहां खाना दिया गया। साथ नंगे पैर में आ रहे बच्चों को जूते भी दिए। उसके बाद प्रशासन ने वहां से उसे घर भेजने की व्यवस्था की। इस पूरे घटनाक्रम के बारे में सेंधवा थाना प्रभारी बीएस परिहार ने संक्षिप्त में बताया।
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I wonder, would you like to share me how much cost will needed to explore all those places, including the
affordable accommodation ? It would be very helpful for me to estimate my cost there.