महापौर अध्यक्ष के पद के लिए आरक्षण का फैसला कल
भोपाल — नगरीय निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश सरकार आरक्षण की सूची भले ही नहीं जारी किया है लेकिन उम्मीदवारों में सरगर्मी बढ़ गयी है। अधिकांश दावेदार तो गुप-चुप कागज भी तैयार करने लगे हैं। आरक्षण ने कई दिग्गजों की गुणा-गणित बिगाड़ दिया है। सिंगरौली नगर निगम नगर पर अजजा का कब्जा रहा है।जिला प्रशासन द्वारा जहां तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, वहीं दावेदार मतदाताओं के बीच पैठ बनाने लगे हैं। इन सबके बावजूद सभी दावेदार आरक्षण पर टकटकी भी लगाए है।
बुधवार को निकायों के महापौर व अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण में स्थिति साफ हो जाएगी एससी एसटी के लिए आरक्षण के बाद 25% नगर निगम ओबीसी के लिए आरक्षित की जाती है। नगरीय निकायों में 50% महिला आरक्षण बाय रोटेशन होता है यानि पिछली बार महिला वर्ग के लिए आरक्षित निकाय इस बार अनारक्षित होंगे इसका आशय यह हुआ कि पिछली बार अआरक्षित रहें नगर निगम इस बार महिला वर्ग के लिए आरक्षित होंगी हालांकि लॉर्ड निकालने में कई बार तकनीकी पेट आ जाते हैं जिसमें कभी स्थिति बदल भी जाती है।
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बता दे कि भोपाल में अगला महापौर ओबीसी वर्ग से होना तय माना जा रहा है इसमें प्रबल संभावनाए है की यह पद महिला के लिए आरक्षित हो सकता है। तो इंदौर का महापौर पद सामान्य होने की उम्मीद जताई जा रही है। आरक्षण में सबसे स्पष्ट स्थिति सिंगरौली मुरैना और उज्जैन की है सिंगरौली इस बार अजजा के लिए आरक्षित होगी। पिछली बार अजजा महिला के लिए सुरक्षित थी। एससी के लिए रिजर्व मुरैना व उज्जैन की कमोबेश स्थिति इस बार आपस में बदल जाएगी पिछली बार मुरैना एससी महिला की हिस्से में जाएगी जबकि उज्जैन एससी महिला के लिए आरक्षित थी इस बार एससी का आरक्षण होगा। बाकी बचे 13 नगर निगम में इंदौर छिंदवाड़ा बुरहानपुर व सागर ओबीसी से हटा कर सामान में शिफ्ट होंगे।
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गौरतलब है कि भोपाल लगातार तीन बार अनारक्षित रह चुका है चार बार के चक्कर में कम से कम एक बार आरक्षित होना जरूरी है इसलिए इस बार भोपाल ओबीसी वर्ग में जाना तय है इसमें भी यदि कोई तकनीकी कुछ नहीं फंसा तू ओबीसी महिला के लिए यह पद आरक्षित होने की प्रबल संभावना है नगर निगम में महापौर के लिए अजा,अजजा का आरक्षण आबादी के अनुसार होता है जबकि ओबीसी आरक्षण 25 प्रतिशत होता है ओबीसी आरक्षण में नियम यह है कि पिछली बार ओबीसी के लिए आरक्षित रहे निकायों को हटाकर यह आरक्षण होता है।
आरक्षण रोस्टर नियम के आधार पर यदि हम बात करें तो इंदौर की महापौर का पद सामान्य के लिए खुला रहेगा क्योंकि क्योंकि पिछली बार यहां महिला ओबीसी का आरक्षण था इस बार भी पिछले बार की तरह वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ही आरक्षण हो रहा है ऐसे में जनसंख्या का अनुपात पिछले आरक्षण यानी 2014 जैसा ही होगा या फिर यूं कहें कि अजा,अजजा के लिए आरक्षण में बदलाव नहीं होगा।
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नगरी निकाय में पिछली बार आरक्षण की बात करें तो सामान्य सीईओ में भोपाल,ग्वालियर, खंडवा, देवास, कटनी, सामान्य महिला के खाते में सतना,रीवा, रतलाम जबलपुर वहीं ओबीसी महिला के लिए इंदौर छिंदवाड़ा थें। ओबीसी बुरहानपुर,सागर,एससीमुरैना,एससी महिला उज्जैन एसटी महिला सिंगरौली के लिए आरक्षित थी। अब देखनाा दिलचस्प रहेगा नगरी निकाय में किसके खाते में जानता हैं।
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