सीधी — पत्रकार ना कोई छोटा होता है और ना ही कोई बड़ा पत्रकार सिर्फ पत्रकार ही होता है जैसे सूरज की रोशनी होती है जिसे धूप कहते हैं वह जहां भी रहती है धूप कहलाती है चाहे गंगा पर पड़े चाहे नाले पर परंतु धूप कभी गंदी नहीं होती।
बतला दे कि समाचार पत्र साप्ताहिक हो या दैनिक कम सरकुलेशन का हो या अधिक सरकुलेशन का हो यदि उसमें सही समाचार नहीं है तो वह निरर्थक है कई बार देखा गया है कि किसी साप्ताहिक समाचार पत्र का संवाददाता यह संपादक किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस मे कोई सवाल पूछते है तो वहां उपस्थित दैनिक समाचार पत्र का संवाददाता जवाब देने लगता है जैसे जिस व्यक्ति ने प्रेस कांफ्रेस आयोजित की हो उसका वह प्रतिनिधि हो ऐसे समय में वह साप्ताहिक समाचार पत्र का संपादक के संवादाता चुप हो जाते हैं परंतु यह उचित नहीं है अपने को बडा पत्रकार कहने वाले के विरुद्ध समाचार छापना चाहिए वह संवाददाता प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले का चमचा है प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने वाले की मेहरबानी से तथाकथित बड़े पत्रकारों की रोजी रोटी चलती है यह तथाकथित बड़े पत्रकार इतने डरपोक और कायर होते हैं शासन द्वारा पत्रकारों के उचित वेतन निर्धारण के लिए बनाये गये आयोग ने जो नीति निर्धारण कीहै उसकी मांग भी नहीं करते यदि अपने संस्थान से आयोग द्वारा निर्धारित वेतन मांगने लगेंगे तो उन्हें संस्था से निकाल दिया जाएगा।