कटनी– केन्द्र की किसानों के हित की अति महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में जिले में बड़े पैमाने पर फर्जीबाड़े का खुलासा हुआ है. प्रधानमंत्री कृषक सम्मान निधि में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने पर प्रशासनिक गलियारों में खलबली मच गई है इस योजना के तहत 1 करोड रुपए ऐसे किसानों को दे दिया गया जो सरकार को आयकर देते हैं। लापरवाही की हद तो यह है कि जो किसान दुनिया को अलविदा कह चुके हैं अब इस दुनिया में नहीं है। उनके खातों में भी राशि जमा कराने की दरियादिली दिखाई है।
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बताते हैं कि 2017-18 और 2019 20 में अधिकारियों की सरपरस्ती में गड़बड़झाला हुआ है प्रशासनिक स्तर पर जब समग्र आईडी के आधार पर सरकार ने अपने स्तर पर जांच कराई तो यह गड़बड़ झाला प्रकाश में आया है इसके बाद पात्रों की सूची भेजते हुए वसूली के निर्देश दिए गए हैं मामला संज्ञान में आने के बाद अप पात्रों की सूची बेचते हुए तहसीलदारों को बड़े स्तर पर वसूली के लिए लगा दिया गया है फिलहाल ऐसे खातों को होल्ड पर कर दिया गया है जिससे पैसे की निकासी ना हो सके।
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पीएम सम्मान निधि मैं अधिकतर फर्जीवाड़ा कौन मृतकों के नाम भुगतान किया गया है जो इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं किसी को दो हजार तो किसी को 4000 तो किसी को ₹6000 भुगतान करते हुए इस दायरे में करीब 7500000 रुपए का घोटाला हुआ है।इसी तरह आयकर के दायरे में आने वाले किसानों को करीब 3500000 रुपए इस योजना के तहत भुगतान किया जा चुका है । सूत्र तो बताते हैं कि एक बार तो आयकर दाता किसानों से प्रशासन राशि वापस ले सकता है लेकिन जो इस दुनिया में नहीं है उनसे राशि वसूलना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी।
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पात्र किसानों को ही सम्मान निधि मिले इसके लिए तीन एजेंसियों को जिम्मेदारी दी गई थी इसके बावजूद किसान सम्मान निधि में गड़बड़झाला हो गया। यह किसी के गले नहीं उतर रहा है । विभागीय सूत्रों की मानें तो राजस्व अमला जहां किसानों का पंजीयन करता है वही नोएडा नोडल एजेंसी भी भू अभिलेख ही था। किसान स्वयं ही पंजीयन करा सकते हैं लेकिन खातों के सत्यापन की जिम्मेदारी भू अभिलेख कार्यालय के मातहत पटवारियों को दी गई थी। ऐसे में यदि ऐसे किसानों के खातों का सत्यापन हो गया जो इस दुनिया में नहीं हैं भू अभिलेख विभाग पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
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