बघेली बोली को पहचान दिलाने की मांग लेकर विधान सभा अध्यक्ष के पास पहुॅचे अविनाश तिवारी
अध्यक्ष ने दिया मौखिक आश्वासन, बड़े स्तर पर होगी बघेली को बढ़ावा देने का प्रयास – गौतम
सीधी। देश मे विविध भाषाओं की बोली बोली जाती है, सभी को क्षेत्रीय भाषाओं के.रूप मे जहॉ दर्जा दिया गया है वहीं हर व्यक्ति के जेहन पैठ करने वाली फिल्में भी बनाई जाती हैं लेकिन बघेली बोली ऐसी बोली है जिसका प्रभाव प्रदेश के राजनीति मे तो है लेकिन शासन प्रशासन स्तर पर कोई महत्व नहीं है। कुछ लेखक कवि, वा कालाकारों ने बघेली को पहचान दिलाने के प्रयास भी किये हैं फिल्मे भी बनाने के प्रयास किये गये हैं। अभी तक सेंसर बोर्ड से बघेली भाषा ने फिल्म बनाने की अनुमति नहीं मिली है, यह अलग बात है कि शोसल मीडिया का जमाना आने के बाद हास्य कलाकार अविनाश तिवारी बघेली भाषा मे कई वीडियो बनाकर यूट्युब के माध्यम से देश विदेश मे पहचान स्थापित कर ली है लेकिन बघेली भाषा की पहचान जितनी होनी चहिए उतनी नहीं हो पायी बघेली को है। इन्ही बांतो को ध्यान मे रखते हुए हास्य कलाकार अविनाश तिवारी अपनी टीम के शैलु शर्मा, कान्हा मिश्रा, अमन मिश्रा, सूरज दुबे के साथ हालही मे मनोनीत हुए मध्य प्रदेश विधान सभा के विधान सभा अध्यक्ष गिरीश गौतम जो बघेली बोली, बोली जाने वाले क्षेत्र से वास्ता रखते हैं उनसे रीवा सर्किट हाऊस मे मिलकर श्री तिवारी ने बघेली भाषा को पहचान दिलाने की मांग किये हैं।
श्री तिवारी ने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि फिल्म ही भाषा के कदम को आगे बढ़ाती है, कई भाषाओं मे जैसे कि पंजाबी, हरियाणवी, छत्तीसगढिय़ा,राठी सहित देश के अलग अलग हिस्सों मे बोली जाने वाली भाषाओं मे फिल्मे बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। जिसमे स्थानीय शासन सत्ता का भरपूर सहयोग मिलता है किन्तु बघेली भाषा को पहचान दिलाने का शासन स्तर पर
कोई इंतजामात नहीं किये जाते हैं। विधान सभा अध्यक्ष से श्री तिवारी.द्वारा बघेल खण्ड के लोगों को अपनी पहचान दिलाने के लिये क्षेत्रीय भाषा में फिल्में देखने वा सुनने का मौका मिले ऐसी मदद आपेक्षित है। उनकी मांग पर विधान सभा अध्यक्ष श्री गौतम ने शासन स्तर पर इस भाषा को बढ़ावा देने के लिये प्रयास करने का आश्वासन दिया है।