सिंगरौली 19 फरवरी। लॉकडाउन के बाद से ही बस परिचालक सवारियों के जेब में डाका डाल रहे हैं और बस मालिकों ने मनमानी तौर पर किराया फिक्स कर दिया है। जबकि आरटीओ से कोई मंजूरी नही मिली है। शुक्रवार की दोपहर 12 बजे के करीब अंतर्राज्यीय बस स्टैण्ड बैढऩ नवभारत की टीम पहुंची। जहां हैरान करने वाली सामने निकल आयी कि एक भी बसों में किराया चस्पा सूची नही दिखी है। इस पर परिचालक गोलमाल जबाव देते हुए भागते नजर आये।
जिले में बस मालिकों ने यात्रियों से औने-पौने किराया वसूलना शुरू कर दिया है। आलम यह है कि जहां पहले एक सवारी से बैढऩ से चितरंगी तक का किराया 70 रूपये लिया जा रहा था। वहीं अब यह किराया अचानक बढ़ाकर 120 रूपये प्रति सवारी कर दिया गया है। इसी तरह बैढऩ से मोरवा तक जाने वाले यात्रियों से 30 रूपये बतौर किराया के रूप में लिया जा रहा था लेकिन अब 50 रूपये लिया जा रहा है। लंघाडोल तक का किराया पूर्व में 50 रूपये था अब 70 रूपये कर दिया गया है। बैढऩ से सरई तक का यात्री भाड़ा 60 रूपये के स्थान पर 80 रूपये, बैढऩ से देवसर 60 के स्थान पर अब 80 रूपये वसूल किया जा रहा है। बैढऩ से बीजपुर रिहंद तक का किराया 40 के स्थान पर 60 रूपये, बैढऩ से बरगवां का यात्री किराया 30 के स्थान पर 50 रूपये तक का टिकट कट रहा है। बैढऩ से सीधी का किराया 100 रूपये के स्थान पर 150 रूपये कर दिया गया है। इसी तरह बैढऩ से रीवा तक का किराया 200 के स्थान पर 250 रूपये, बैढऩ से बर्दी का किराया 90 रूपये के स्थान पर 150 रूपये का टिकट परिचालक काट रहे हैं। ताजुब की बात है कि किराया बढ़ाने के लिए परिवहन विभाग से किसी प्रकार की हरी झण्डी नहीं मिली है। बावजूद इसके डीजल के बढ़ते कीमतों को देख बस मालिकों ने अपने हिसाब से यात्री किराया तय कर लिया है। यह किराया अभी तीन महीने से बढ़ाया गया है। अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बस मालिकों को किराया बढ़ाने की अनुमति जब नहीं मिली तो मनमानी तौर पर कैसे बढ़ा दिया गया? यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्रचिन्ह खड़ा हो रहा है। अब चर्चा है कि इन अव्यवस्थाओं व यात्रियों को राहत पहुंचाने के लिए क्या नये जिला परिवहन अधिकारी कदम उठायेंगे? आमजनों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
किराया को लेकर यात्रियों में तूतू-मैमै
यात्रियों से औने-पौने किराया रकम वसूले जाने को लेकर रोजाना यात्रियों एवं परिचालकों के बीच तूतू-मैमै होती रहती है। यहां तक की कभी कभार मारपीट की नौवत खड़ी हो जाती है। यह समस्या अभी फिलहाल कुछ महीने से निर्मित हुई है। लॉकडाउन के चलते रूटों पर बसों की संख्या कम होने पर यात्री मजबूर होकर अपने गन्तव्य की ओर मनमानी किराया दे रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं है लेकिन किसी ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठायी है। लिहाजा बस मालिक मनमानी तौर पर यात्रियों से किराया वसूल रहे हैं।
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