संवाददाता- कमलेश पांडे
उपखण्ड मजिस्ट्रेट सिहावल का जांच प्रतिवेदन के बाद गिर सकती हैं गाज,आखिर कौन बचा रहा है एएसपी को,जांच के बाद नहीं हो रही कार्यवाही
सिंगरौली 1 जून– जिला सत्र न्यायालय सीधी में 10 अप्रैल 2018 को तत्कालीन एएसपी के द्वारा न्याय के मंदिर में घुसकर अधिवक्ताओं पर बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज किया गया था। जहां उपखण्ड मजिस्ट्रेट आरके सिन्हा सिहावल के जांच उपरांत यह तथ्य सामने आये थे कि एएसपी के ही द्वारा लाठी चार्ज के आदेश दिये गये। किसी वरिष्ठ अधिकारी ने लाठी चार्ज के आदेश नहीं दिये। एएसपी के इस क्रियाकलापों की विधिवत जांच हुई और दोषी पाये गये। कार्रवाई के आदेश भी किये गये। लेकिन अभी तक एएसपी के कार्रवाई की फाइल ठण्डे बस्ते में है। आखिर कब एएसपी पर कार्रवाई होगी। इसको लेकर अधिवक्ता संघ सीधी इंतजार में बैठा हुआ है। वही दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि एएसपी को आखिर कौन बचा रहा है।
अधिवक्ता संघ सीधी के द्वारा दिये गये साक्ष्यों में यह उल्लेख किया गया है कि 10 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान सीधी न्यायालय व कलेक्ट्रेट कार्यालय के समीप स्थित अम्बेडकर चौराहा पर जिला पुलिस के द्वारा रैली निकालने, हड़ताल रोकने और अवैध रूप से शहर में प्रवेश करने तथा उपद्रव रोकने के प्रयास के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस बल का नेतृत्व तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीधी प्रदीप शेण्डे के द्वारा किया जा रहा था। लगभग एक सैकड़ा पुलिस बल कलेक्ट्रेट चौराहे पर घेराबंदी बनाये हुए थे। ताकि भारत बंद पर किसी तरह का प्रवेश न हो सके। उस दौरान कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा वीथिका भवन की तरफ से पत्थरबाजी की गयी थी। पत्थरबाजी के दौरान पुलिस अराजकतत्वों को खदेड़ते हुए एएसपी प्रदीप शेण्डे के अगुवाई में न्यायालय में प्रवेश कर गये। न्यायालय में घुसते ही एएसपी ने पुलिस कर्मियों को लाठी चार्ज के आदेश दे दिये। जहां अधिवक्ताओं पर एएसपी के नेतृत्व में पुलिस ने बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज कर दिया। जिसमें कई अधिवक्ता लहू-लुहान हो गये।
अधिवक्ता संघ ने साक्ष्य में कहा है कि पुलिस द्वारा ऐसा कोई अभिलेख समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया कि लाठी चार्ज करने हेतु किसी दण्डाधिकारी का आदेश था। जिससे यह लिखने में संकोच नहीं है कि तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप शेण्डे के द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के विपरीत न्यायालय परिसर में पुलिस बल को घुसने और लाठी चार्ज करने का आदेश दिया था। जिससे पुलिस अधीक्षक सीधी इस बिंदु की जांच कर जिला दण्डाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें कि अधीनस्थ पदस्थ तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप शेण्डे, वर्तमान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिंगरौली के द्वारा इस आधार पर न्यायालय परिसर में बिना किसी दण्डाधिकारी के आदेश में लाठी चार्ज कराया था। कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के संपूर्ण विवेचना एवं आये हुये साक्ष्य से यह प्रमाणित होता है कि तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीधी प्रदीप शेण्डे के द्वारा बिना किसी अधिकार के पुलिस बल को लाठी चार्ज करने का आदेश दिया गया था। जिससे पुलिस बल द्वारा न्यायालय परिसर में घुसकर अधिवक्ताओं के साथ बर्बरता पूर्वक मारपीट की थी।
इस कारण प्रदीप शेण्डे तत्कालीन एएसपी सीधी व मारपीट करने वाले पुलिस कर्मचारी व अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई किये जाने का जो प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है आखिर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इधर मालूम हो कि सिंगरौली में भी एएसपी अपनी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चाओं में बने रहते हैं। एक महीने पूर्व शासन पावर की घटना उदाहरण है।
न्याय के मंदिर में हुई थी घटना — जिला सत्र न्यायालय सीधी में 10 अप्रैल 2018 भारत बंद का वह दिन आज भी अधिवक्ता भूल नहीं पाये हैं। क्योंकि इस न्याय के मंदिर में जो बर्बरता तत्कालीन एएसपी के द्वारा अपने अधीनस्थ पुलिस जवानों के साथ अधिवक्ताओं पर की गयी थी। उसकी निंदा चहुंओर अभी भी हो रही है। आखिर एएसपी ने ऐसा कदम क्यों उठाया था। उन्हें ऐसा कदम उठाने का आदेश कौन दिया था या फिर अपने बुद्धि विवेक या बर्दी का खौफ दिखाने के लिए लाठी चार्ज के आदेश दिये थे। जो भी हो लेकिन एएसपी ने अधिवक्ताओं पर जो प्रहार करवाया था उस पर अभी तक कोई सार्थक निर्णय नहीं आया है। जांच हुई सब सही पाया गया फिर भी कार्रवाई में हीला-हवाली क्यों? इस तरह के सवाल बार-बार कुरौंध रहे हैं।
एएसपी ने पद का किया दुरूपयोग: राजकुमार जिला एवं सत्र न्यायालय अधिवक्ता संघ बैढऩ-सिंगरौली के सचिव राजकुमार दुबे ने मोबाइल के माध्यम से उक्त घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एएसपी प्रदीप शेण्डे ने निहायत बर्बरता पूर्वक अधिवक्ताओं के साथ कृत्य किया है। अधिवक्ता संघ बैढऩ इसका घोर निंदा करता है। उनकी इस अवमाननापूर्ण कार्रवाई से प्रतीत होता है कि वे अधिवक्ताओं पर किसी दुश्मनी का बदला लिया है। जिला अधिवक्ता संघ बैढऩ, सीधी एवं राज्य अधिवक्ता संघ परिषद् जबलपुर के साथ में है। साथ ही इन पर अपराधिक मामला भी पंजीबद्ध हो। बैढऩ के अधिवक्ता इनकी पैरवी भी नहीं करेंगे। साथ ही न्याय के मंदिर में अधिवक्ता पर हमला करने वाले एएसपी को तत्काल राज्य सरकार को हटाना चाहिए। कार्यपालिक मजिस्ट्रेट सिहावल के द्वारा जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेख भी है। फिर राज्य सरकार ऐसे विवादित एएसपी पर क्यों मेहरबान हैं। आखिरकार जांच प्रतिवेदन पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
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