परिजनों ने डॉक्टर की लापरवाही बताई बजह,
उमरिया – राष्ट्रीय संरक्षित जन जाति बैगा आदिवासी प्रसूता की जिला अस्पताल में मौत हो गई। परिजनों ने जिला अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया हैै जबकि डॉक्टरों का कहना है कि खून की कमी के चलते प्रसूता की मौत हुई है, हैरानी तो इस बात की हैै कि जब तीन दिन पहले डिलीवरी कराने पहुंची महिला किक खून की कमी थी तो पहले से अस्पताल प्रबंधन ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया। गौरतलब है कि मृतिका पूजा बैगा ग्राम डोभा की रहने वाली राष्ट्रीय संरक्षित जनजाति की बैगा आदिवासी महिला है। 3 दिन पूर्व जिला अस्पताल में पूजा बैगा को उसके परिजनों ने डिलीवरी के लिए भर्ती करवाया था महिला के पति दीपक बैगा का कहना है की हमने डॉक्टरों के बताने पर दो बार अपना खून दिया।आज सुबह भी एक बार खून दिया बाजार से दवा भी लाये मगर डिलीवरी वार्ड में मौजूद नर्सों के द्वारा घोर लापरवाही बरती गई जिसके चलते मेरी पत्नी की मौत हो गई। वहीं अगर प्रत्यक्षदर्शी प्रदीप सोनी की माने तो उसका भी कहना है कि मेरे सामने महिला को खून चढ़ाया गया और खून चढ़ाने के तत्काल बाद महिला तड़पने लगी तब हमने चिल्ला कर कहा कि यहां ड्यूटी में कौन है उसको बुलाओ जल्दी से इसको देखें इसकी हालत खराब हो रही है मगर कोई नहीं आया काफी देर के बाद महिला की तरफ अस्पताल के स्टाफ ने ध्यान दिया तब तक काफी देर हो चुकी थी, गौरतलब है कि उमरिया जिला अस्पताल में मरने के बाद महिला को रेफर भी किया गया वही 108 में रखने के बाद जब समझ में आया कि महिला की मौत हो चुकी है फिर वापस जिला अस्पताल में रखा गया।
कागजों में मिटाया जा रहा कुपोषण
यदि देखा जाए तो उमरिया जिले में कुपोषण मिटाने के लिए कागजों में काफी प्रयास किया जा रहा है वही जिले में कुछ समाजसेवी युवा टीम के नाम से भी कुपोषण मिटाने के लिए प्रयास कर रहे हैं जमीनी सच्चाई यह है कि सभी काम मात्र कागजों तक ही सीमित हैं यदि कुपोषण मिटाने के लिए कुछ काम किया जाता तो आज इस बैगा आदिवासी महिला की स्थिति यह नहीं होती । कुपोषण के चलते ही खून की कमी होती है और केंद्र सरकार 1हजार रुपया प्रति माह बैगा महिलाओं को देता है लेकिन उमरिया जिले में वह भी नही मिल रहा है।आज जो प्रसूता की मौत हुई है वह शासन और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर रहा है।
इनका कहना है
डियूटी डॉक्टर दीपाक्षी सिंह बताईं कि जिला अस्पताल उमरिया में मरीज पूजा बैगा को इलाज के लिए लाया गया था उस समय अत्यधिक रक्त की कमी थी सीबियर एनेमिया था जिसके चलते सभी डॉक्टरों के द्वारा मिलकर इलाज किया गया मगर डिलीवरी के समय उसकी मौत हो गई काफी प्रयास करने के बाद भी नहीं बचाया जा सका उसको 4 ग्राम हिमोग्लोबिन था जोकि काफी कम था मृत्यु के पश्चात शव परिजनों को सौंप दिया गया।
दीपाक्षी सिंह –डॉक्टर