रीवा 9 दिसंबर । मध्य प्रदेश के रीवा रीवा जिले की रहने वाली सीता साहू जिसने कभी देश और प्रदेश का नाम रोशन किया था लेकिन अब गुमनाम की जिंदगी जीने को विवश है यह वही सीता साहू है जिसने 2011 में ग्रीस में आयोजित स्पेशल ओलंपिक के दौरान 200 और 4× 400 मीटर रिले दौड़ में भारत को कांस्य पदक जीत के अपने देश को गर्व महसूस करवाया मानसिक रूप से विकलांग बालिका सीता साहू के जीवन के दो अपेक्षित लम्हे तब के थे जब पहली बार वह 7 और बच्चों के साथ शिवराज सिंह चौहान के घर पर चाय के लिए आमंत्रित की गई लेकिन अब सीता साहू परिवार की जीवन यापन करने के लिए समोसे बना रही है।
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बदला दे कि दूसरी बार एथेंस से कांस्य पदक 200 मीटर और 16 मीटर की विशेष खेलों में जीत का चर्चाओं में आई एथेंस में बिताए उन 15 दिनों ने उसे पूरी तरह से एक असंतुष्ट और आत्मविश्वासहीन लड़की से विश्वास बालिका में बदल दिया उस समय की तत्कालीन सरकार ने सीता के लिए ₹100000 का इनाम देने का वादा किया था।
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तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2013 में सीता साहू का सम्मान कर उसे भारत का गौरव बताया था आर्थिक सहायता के रूप में ₹500000 का चेक, रीवा शहर में मकान व दुकान इसके अलावा उसकी खेल प्रतिभा को निखारने के लिए विशेष ट्रेनिंग देने की बात कही थी चेक तो तत्काल मिल गया था लेकिन अन्य घोषणाएं अभी तक सिर्फ घोषणाएं ही हैं ।
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हाल में सीता साहू पुत्री पुरुषोत्तम साहू उम्र 18 वर्ष निवासी कटरा मोहल्ला धोबिया टंकी स्थित एक छोटे से मकान में परिवार के साथ रहती है। वह धोबिया टंकी शहर के ही मूकबधिर इसमें विद्यालय में पढ़ाई करती है वर्ष 2011 में विद्यालय के प्राचार्य रामसेवक साहू ने सीता साहू को स्पेशल ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए भोपाल भेजा था। उसी दौरान में चर्चा में आई लेकिन अब सीता साहू समोसे बना कर जीवन यापन कर रही है उसकी ओर देखने वाला अब कोई नहीं है प्रदेश सरकार को भी अब उसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है।
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सभी छोटे ‘ बड़े आयोजन में सीता साहू की तारीफ करने व गौरव बताने वाले शायद यह भूल गए कि सीता साहू ने देश का नाम रोशन किया था लेकिन अब कोरी घोषणाओं के बाद सीता खुद को ठगा सा महसूस कर रही है सीता साहू जो कटरा मोहल्ले में रहती है शहर के ही मूकबधिर स्नेह विद्यालय में पढ़ाई करती है वर्ष 2011 में विद्यालय के प्राचार्य रामसेवक साहू ने सीता को स्पेशल ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए भोपाल भेजा था जहां उसका चयन दिल्ली के लिए हुआ और दिल्ली में हुई प्रतियोगिता के बाद उसे ग्रीस में आयोजित हो रही विशेष ओलंपिक के लिए चयनित किया गया जहां सीता साहू ने कांस्य पदक जीता था.
सीता साहू को ग्रीस में आयोजित हो रहे ओलंपिक को भेजने के लिए परिवार ने ₹40000 का कर्ज लिया था सीता साहू की मां किरण साहू बहन राधा साहू पिता पुरुषोत्तम साहू बताते हैं कि उन्होंने यह पैसे कर्ज ने लिए थे बेटी को पदक भी मिला उसके बाद मानो कोई उन्हें पूछने वाला नहीं था इसी बीच जब उसे कांस्य पदक मिला तो कई नेताओं ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जो अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं।
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