मध्य प्रदेश के हबीबगंज रेलवे स्टेशन को 450 करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय बना दिया गया है लेकिन अभी तक इसके नाम में इतिहास से जुड़ा कुछ भी नहीं है। इस स्टेशन का नाम हबीबगंज क्यों रखा गया है इसे लेकर भी कोई स्पष्ट राय नहीं है। स्टेशन का नाम बदलने की मांग शहरवासियों की ओर से काफी समय से की जा रही थी। ऐसे में अब भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नया नाम बदल दिया गया है. अब ये स्टेशन रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा. मध्यप्रदेश सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी की है. बता दें, इसके लिए शिवराज सरकार ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखा था.
मंत्रालय के उच्च अधिकारियों का कहना है कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नया नाम भोपाल रियासत की रानी कमलापति के नाम पर रखा जाएगा। प्रदेश सरकार ने इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को शुक्रवार को प्रस्ताव भेज था जिस पर सरकार ने मंजूरी दे दी है। 15 नवंबर को जम्बूरी मैदान पर आयोजित जनजातीय महासम्मेलन या रेलवे स्टेशन लोकार्पण के समय पीएम नरेंद्र मोदी नए नाम की घोषणा करेंगे। हालांकि भोपाल सांसद प्रज्ञा प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने गुरुवार को ट्वीट किया, ‘भोपाल में 15 नवंबर 2021 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनजातीय गौरव दिवस पर आना हमारे भोपाल के लिए शुभ संकेत हैं. मुझे विश्वास है कि मोदी जी हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वापपेयी जी के नाम पर रखने की घोषणा करेंगे.
सीएम शिवराज ने मोदी का जताया आभार
मप्र सरकार के एक पत्र के अनुसार रानी कमलापति इस क्षेत्र की 18वीं शताब्दी की गोंड रानी थीं. रानी कमलापति का विवाह एक गोंड शासक से हुआ था और जब उनके पति की मृत्यु हुई तो वह राज्य की रक्षक थीं. गोंड समुदाय 1.2 करोड़ से अधिक आबादी वाला भारत का सबसे बड़ा आदिवासी समूह शामिल है.सीएम शिवराज ने कहा, ‘’यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण गोंड रानी कमलापति जी के नाम करने पर प्रदेश वासियों की तरफ से हृदय से आभार, अभिनंदन व्यक्त करता हूं. यह निर्णय गोंड वंश के गौरवशाली इतिहास, शौर्य और पराक्रम के प्रति सम्मान और सच्ची श्रद्धांजलि है.’’
कौन थी रानी कमलापति
15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राज्य शासन ने हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखने का निर्णय लिया है। रानी कमलापति का विवाह गौंड राजा सूरज सिंह शाह के पुत्र निजाम शाह के साथ हुआ था। रानी ने बहादुरी के साथ अपने पूरे शाासन काल में आक्रमणकारियों का डट कर मुकाबला किया था। रानी की यादों को अक्षुण्ण बनाए रखने और उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति के चलते ये निर्णय लिया गया है।बता दें, 450 करोड़ के प्रोजेक्ट वाले हबीबगंज स्टेशन को पीपीपी मोड पर तैयार किया गया है. हबीबगंज स्टेशन देश का पहला ऐसा स्टेशन बन गया है जहां एयरपोर्ट की तरह वर्ल्ड क्लास सुविधाएं यात्रियों को मिल सकेंगी. इस अत्याधुनिक रेलवे स्टेशन में एक साथ 1000 लोगों को बैठने की व्यवस्था है जबकि पूरा रेलवे स्टेशन मैं फ्री वाईफाई जोन से लैस होगा। इस स्टेशन पर लोग बिना भीड़भाड़ के ट्रेन की बर्थ तक पहुंच सकेंगे. जो यात्री स्टेशन स्टेशन पर उतरेंगे, वे भी दो अलग-अलग मार्गों के जरिये स्टेशन के बाहर सीधे निकल जाएंगे.
दो प्लेटफार्म से विश्व स्तरीय सुविधा तक का सफर
इतिहासकारों ने बताया कि 1868 तक उत्तर भारत में आगरा तक और दक्षिण की तरफ खंडवा तक रेलवे ट्रैक था लेकिन बीच में कोई रेलवे ट्रैक नहीं था। इसलिए आवागमन का एकमात्र साधन सड़क मार्ग से होता था। आवाम की सुविधा के लिए भोपाल की नवाब शाहजहां बेगम से ब्रिटिश अधिकारी हेनरी डेली ने ट्रेन चलाने के लिए करार किया था। उस समय बेगम ने इसके लिए 34 लाख रुपये का दान किया था। 1882 में भोपाल से इटारसी के बीच ट्रेन रवाना हुई थी और भोपाल को स्टेशन बनाया गया था। इतिहासकारों ने बताया कि काफी साल के बाद भोपाल के नजदीक एक छोटा सा स्टेशन हबीबगंज क्षेत्र का निर्माण किया गया। इस पर दो प्लेटफार्म थे।1979 में ये स्टेशन अस्तित्व में आया था। केंद्रीय मंत्री रहते माधवराव सिंधिया ने इस पर ध्यान देते हुए इसके लिए 7 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। इस राशि का उपयोग स्टेशन के दोनों ओर भवन व प्लेटफार्म बनाने के लिए किया गया था।
भोपाल में 15/11/2021को मान. PM श्री @narendramodi जी का #जनजातीय_गौरव_दिवस
— Sadhvi Pragya singh thakur (@SadhviPragya_MP) November 11, 2021
पर आना हमारे भोपाल के लिए शुभ संकेत हैं मुझे विश्वास है कि मान.मोदी जी हबीबगंज रेलवे स्टेशन को पूर्वPM श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर होने की घोषणा करेंगे और मेरे पूर्व से इस आग्रह की पूर्णता होगी।