भोपाल– प्रदेश की जनता महंगाई और कोरोनावायरस से परेशान है तो वही पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के बढ़े हुए दाम के कारण महंगाई की मार से प्रदेश की जनता बेहाल है उधर सरकार ने विधायकों का वेतन भत्ता बढ़ाने के लिए विधायकों की एक समिति बनाई है समिति की रिपोर्ट आने के बाद आगामी विधानसभा सत्र में विधायकों के वेतन भत्ते की बढ़ोतरी के संबंध में निर्णय लिया जाएगा. लॉकडाउन में बहुत सारे लोगों के आए इनकम पूरी तरह से बंद हो गई है ऐसे में सरकार विधायकों की निधि नहीं बल्कि वेतन भत्तों में बढ़ोतरी करने जा रही है इस पर अब हर आम खास विधायकों पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं।
कितने दुख और अफसोस की बात है कि हमारे प्रदेश के विधायक इस कोरोनावायरस की बंदी मे कोई अतिरिक्त आमदनी ना होने के कारण भुखमरी की कगार पर आ गए क्योंकि यदि लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो शाशकीय कार्य होते रहते और उसमें कमीशन मिलता रहता इसलिए प्रदेश के सभी विधायक चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल के हों इकट्ठे होकर अपने वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं लेकिन इन विधायकों को सरकारी कर्मचारियों सेवानिवृत्त एवं सेवानिवृत्त पेंशनरों की चिंता नहीं है जो लॉकडाउन के समय कार्यालय बंद होने के कारण अपनी ऊपरी आमदनी से वंचित होकर मात्र वेतन पर गुजारा कर रहे हैं और तो और इन विधायकों की गैरत कहां है जब रोज कमा कर खाने वाले छोटे व्यवसाई जो फुटपाथ पर दुकान लगाकर अपने परिवार को पालते थे उनके विषय में विधायक नहीं सोच रहे हैं और वे कर्मचारी जो प्राइवेट दुकानों या छोटी फर्मों में काम करने वाले कर्मचारी किन परिस्थितियों में हैं इसका इन विधायकों को कोई ख्याल नहीं है अपने वेतन भत्ते की चिंता है जो शासन से मांग कर रहे हैं क्या इनका वेतन सरकार विदेश से लाएगी वह भी जनता से ही टैक्स के रूप में वसूलेगी और जो जनता परेशान है वह और परेशान हो जाएगी प्रदेश के विधायकों को सिर्फ अपनी फिक्र है जनता की नहीं
बता दें कि विधायकों की वेतन वृद्धि पर कई सरकारी कर्मचारी और रिटायर सरकारी कर्मचारियों के अपने अपने सुझाव आए हैं। उनकी बातों को सुनते और समझते हुए यह लिखना आवश्यक हो गया है इस महंगाई के जमाने में जहां खाद्य तेल का दाम बढ़ गया पेट्रोल डीजल का दाम बढ़ गया विद्युत का दाम बढ़ा दिया गया ऐसे में सरकारी कर्मचारियों का यह कहना है कि 2 साल हो गया हम लोगों का डीए नही बढा, इंक्रीमेंट नहीं बढ़ा,वेतन वृद्धि नहीं हुई। ऐसे में इन विधायकों को अपनी वेतन वृद्धि की चिंता पड़ी है। जबकि शासकीय कर्मचारी 30 साल सेवा देने के बाद रिटायर होता है और उसे पेंशन मिलती है यह तो मात्र 5 साल में ही छोड़िए शपथ ग्रहण संपन्न होने के बाद ही पेंशन के हकदार हो जाते हैं।
अब मध्य प्रदेश की जनता ही विचार करें किस की तनख्वाह की वृद्धि होनी चाहिए क्योंकि यह विधायक लोग ही अपनी कमेटी बनाकर खुद ही अपना वेतन बढ़ा लेते हैं। जनता का पैसा लूटने में लगे रहते हैं जबकि जनता इनको चुनती है लेकिन जनता है कितनी भोली हो गई है इस देश की जो अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रही है ऐसे अयोग्य लोगों को वोट देकर विधायक बनाती है जो सिर्फ अपने बारे मे ही सोचते हैं जनता के हित मे नही सोचते। यह खबर लगते ही लोगों की प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई हैं जहां हर आमखास का कहना है कि सरकार कोरोना संक्रमण पर कब नहीं पा सकी है तीसरी और चौथी लहराने वाली है महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है और विधायक जनप्रतिनिधि अपने वेतन व भत्ते बढ़ाने में लगे हैं इन्हें आम जनता एवं गरीबों की स्थिति एवं परिस्थितिकी कोई फिक्र नहीं है।
यह विधायक शामिल
समिति के सभापति वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला होंगे। विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह समिति के सचिव होंगे। समिति में डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा। जगदीश देवड़ा, डॉक्टर गोविंद सिंह, हिना कावरे, देवेंद्र वर्मा, यशपाल सिंह सिसोदिया, कुंवर सिंह टेकाम, राजेश कुमार शुक्ला को शामिल किया गया है । समिति ने सिफारिश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के समक्ष प्रस्तुत करेगी।