डिंडौरी करंजिया। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए 14 अप्रैल तक लॉकडाउन कर दिया गया है। जिसका असर लोगों के साथ वन्य प्राणियों में भी साफ नजर आ रहा है। जिस तरह जरुरतमंद जरुरी वस्तुओं के लिए परेशान हो रहे हैं ठीक उसी तरह जानवर भी भोजन के लिए परेशान हैं। पशु पक्षीयों सहित जंगली जानवरों को भोजन के लिए लाले पड़ रहे हैं। इन परिस्थितियों में पुलिस विभाग ने जो मानवता की मिसाल कायम की है यह अतुलनीय है। पुलिस लोगों की मदद के साथ वन्य प्राणियों का भी ध्यान रख रही है। जी हां हम बात कर रहे हैं पुलिस विभाग में पदस्थ हेड कांस्टेबल आनंद मोहन मिश्रा और नगर के युवा समाज सेवी हर्ष कटारे और उनकी टीम की जिन्होंने डिंडौरी जिले में लॉक डाउन से प्रभावित इंसानों के साथ साथ बेजुबान जानवरों का भी ख्याल रखने का बीड़ा उठाया है। बता दें कि मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य सीमा स्थित करंजिया थाना में पदस्थ हेड कांस्टेबल आनंद मोहन मिश्रा सैकड़ों भूखे बंदरों के लिये फल और बिस्किट लेकर रोज जंगल जाते हैं और बंदरों को अपने हाथ से खिलाते भी हैं। लॉकडाउन के बाद बंदर और हेड कांस्टेबल के बीच ऐसा रिश्ता बन गया है की उन्हें देखते ही बंदरों का हुजूम लग जाता है।
करंजिया से अमरकंटक तक घने जंगल के बंदरों को खिला रहे खाना
करंजिया थाना से नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंटक की दूरी महज 15 किलोमीटर है। करंजिया से अमरकंटक तक काफी घना जंगल पड़ता है। लॉकडाउन के पहले अमरकंटक जाने वाले पर्यटक बंदरों को फल, बिस्किट व चने आदि खिला देते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते पर्यटन बंद हो गया और बंदर भूखे रहने लगे। ऐसे में बार्डर ड्यूटी से लौट रहे पुलिस कर्मियों ने बंदरों का पेट भरने का फैसला लिया और लॉकडाउन के बाद से पुलिसकर्मी रोज अपने पैसों से बंदरों के लिए फल और बिस्किट लेकर जंगल पहुंचते हैं और भूखे बंदरों को अपने हाथों से खिलाते हैं।छत्तीसगढ़ राज्य सीमा से लगे करंजिया थाना के पुलिस कर्मी सैकड़ों भूखे बंदरों के लिए फल और बिस्किट लेकर रोज जंगल जाते हैं और बंदरों को अपने हाथ से खिलाते भी हैं।
हर्ष कटारे ने मूक जानवरों को खाना खिला कर मानवता की मिसाल बने
डिंडोरी समनापुर मार्ग पर पड़ने वाले किकरझर के जंगलों में बड़ी संख्या में बंदर और अन्य पक्षी रहते हैं इन क्षेत्रों में पर्यटकों का काफी आना-जाना रहता था जिससे जंगली जानवरों सहित पशु पक्षियों को पर्याप्त भोजन मिल जाता था लेकिन लाख डाउन के बाद से पक्षियों को भरपेट भोजन नसीब नहीं हो रहा था जब इसकी जानकारी समाजसेवी हर्ष कटारे को लगी तो उन्होंने एक टीम बनाकर फल और दाने की व्यवस्था के साथ जंगलों में पहुंच गए। जहां वह मूक जानवरों भोजन खिलाया। श्री कटारेे का मानना कि बंदर हनुमान जी के ही रूप है इन्हें खिलाकर मन को बहुत संतुष्टि मिलती है ।