भोपाल– प्रदेश की सियासत में आज नई तस्वीर देखने को मिली जिसके कई मायने हैं। राजनीति में कब कहा कौन सा मोड़ आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता राजनीत के किसी भी खिलाड़ी को पाला बदलते देर नहीं लगती। राजा के गढ़ राघोगढ़ में पहली बार सभा करने पहुंचे महाराजा ने सेंध लगा दी है, ज्योतिरादित्य सिंधिया व दिग्विजय सिंह की वर्चस्व की लड़ाई कोई आज की नहीं है। यह लड़ाई पुरुखो की है जो अब तक चली आ रही है जब तक सिंधिया कांग्रेस में थे, लड़ाई पर्दे के पीछे थी किंतु सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद सार्वजनिक रूप से लड़ाई शुरू हो गई। जिसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका भी माना जा रहा है.
गुना जिला सिंधिया और दिग्विजय सिंह की राजनीति केंद्र की धुरी है पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया राघोगढ़ पहुंचे और सभा को संबोधित किया व दिग्विजय सिंह के करीबी सहयोगी रहे हीरेंद्र सिंह को बीजेपी में शामिल कराया। सिंधिया ने राघोगढ़ दौरे को राजनीति में एक नए अध्याय के रूप में लिखा है।राघोगढ़ में कांग्रेस के पूर्व विधायक मूल सिंह दादाभाई के बेटे हीरेंद्र सिंह बीजेपी में शामिल हो गए, जिसकी तैयारी काफी समय से चल रही बताई जा रही थी, जिसमे सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिंन्धिया ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व विधायक श्री मूल सिंह के पुत्र युवा नेता हीरेन्द्र प्रताप सिंह जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मजबूत नेतृत्व,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी और भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर राघोगढ़ में 5000 से ज्यादा साथियों के साथ पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
कांग्रेस के पूर्व विधायक श्री मूल सिंह के पुत्र युवा नेता हीरेन्द्र प्रताप सिंह जी ने प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के मजबूत नेतृत्व,मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj जी और भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर राघोगढ़ में 5000 से ज्यादा साथियों के साथ पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। pic.twitter.com/IxriLNP6mh
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) December 4, 2021
इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धने सिंह का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधा।सिंधिया ने कहा कि कुछ लोगों का काम हर अवसर में चुनौतियों को खोजना है, जबकि भाजपा का काम चुनौतियों में अवसर तलाशना है. भाजपा केवल विकास में विश्वास करती है। उन्होंने शाही परिवार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस अब नामदारो की पार्टी बन कर रह गई है और भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है. सिंधिया ने कहा कि वह केवल विकास और जनता पर मोह हैं।हिरेंद्र सिंह का बीजेपी में शामिल होना सिंधिया की बड़ी मांग मानी जा रही है, क्योंकि हिरेंद्र के पिता मूल सिंह दिग्विजय सिंह के करीबी नेताओं में से एक माने जाते हैं. हिरेंद्र सिंह भी दिग्विजय परिवार के खास सदस्य थे। मूल सिंह राघोगढ़ से दो बार विधायक रह चुके हैं लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धने सिंह ने राघोगढ़ से चुनाव लड़ा था.
बार-बार आता रहूगां राघौगढ़
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिरेंद्र सिंह और दिग्विजय के परिवार के बीच दूरियां तभी से बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में बीजेपी में शामिल होना एक नई राजनीति की शुरुआत है, क्योंकि सभी की निगाहें 2023 के विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं, माना जा रहा है कि सिंधिया जिस तरह से उन्हें बीजेपी में लाए, वह विधानसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वह पहले कभी राघोगढ़ नहीं आए थे लेकिन अब वह बार-बार राघोगढ़ आएंगे। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार राघोगढ़ में सभा की। वह पहले कभी किसी बैठक में शामिल होने राघोगढ़ नहीं गए थे, सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तब आखिरी बार 2018 में जयवर्धन सिंह के बुलावे पर राघोगढ़ पैलेस पहुंचे थे।
राजा और महाराजा का अब होगा सीधा आमना-सामना
राजा और महाराजा के बीच लंबे समय से टशन रहा है लेकिन इनकी लड़ाई हमेशा पर्दे के पीछे रही लेकिन जब सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए उसके बाद से राजा और महाराजा की लड़ाई सीधे तौर पर होने । 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह ने सिंधिया के क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में जमकर प्रचार किया था. ऐसे में अब सिंधिया भी दिग्गी के गढ़ में खुलकर प्रचार करने लगे हैं. हीरेंद सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब दोनों राजनीतिक घरानों की लड़ाई सामने से होगी। क्योंकि दिग्विजय सिंह और जयवर्धने सिंह ने 28 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में सिंधिया के विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए जोरदार प्रचार किया था ऐसे में सिंधिया ने दिग्गी के किले में भी जन प्रचार अभियान शुरू कर दिया है।
‘मैं तेरी नचाई नाचू सु’ इस दुनिया की औकात नहीं,सपना चौधरी का ये कटीला डांस हुआ वायरल – विंध्य न्यूज़