सिंगरौली 2 सितम्बर। जिले के कई आरक्षक व प्रधान आरक्षकों पर शायद स्थानांतरण नीति लागू नहीं है। इसके एक नहीं दर्जनों उदाहरण हैं। थानों में लंबे अर्से से पदस्थ हैं, लेकिन उनका तबादला नहीं हो पाया है। चर्चा है कि थानों के प्रभारी ऐसे आरक्षक व प्रधान आरक्षकों पर मेहरबान हैं।
गौरतलब हो कि प्रदेश सरकार के तबादला नीति में उल्लेख है कि 4 साल के अधिक समय से एक ही थाने व चौकियों में पदस्थ पुलिस सेवकों का तबादला हर हाल में किया जायेगा। किन्तु सिंगरौली जिले में ठीक इसके विपरीत हो रहा है। सूत्रों की बात मानें तो थानों व चौकियों में ऐसे कई आरक्षक व प्रधान आरक्षक पदस्थ हैं जिनका कार्यकाल तीन-चार साल से अधिक हो चुका है। बावजूद इसके उनका तबादला आज तक नहीं हो पाया है। सूत्र बता रहे हैं कि संबंधित थाना प्रभारियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय को सही जानकारी नहीं दिये। जिसके चलते ऐसे आरक्षक व प्रधान आरक्षकों का तबादला नहंी हो पाया है। चर्चा है कि ऐसे आरक्षक, प्रधान आरक्षक अपने मनचाहा स्थान में कई सालों से पदस्थ रहते हुए अपने मन मुताबिक कार्य को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे पुलिस कर्मियों की शिकायत भी कई बार हो चुकी है, किन्तु मेहरबान थानों के इंचार्ज मामले को किसी न किसी तरह रफा दफा कर देते आ रहे हैं। जिसके चलते इन पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती। उदाहरण तौर पर नौडिहवा पुलिस चौकी है जहां कुछेक आरक्षक कई वर्षों से वहीं पदस्थ हैं और सोन नदी से रेत, नशीली सिरफ के कारोबारियों को संरक्षण दे रखें हैं। नशीली सिरफ घोरावल यूपी के रास्ते से नौडिहवा चौकी क्षेत्र होते हुए गढ़वा, चितरंगी क्षेत्र में खपाई जा रही है। दर्जनों बार गढ़वा एवं चितरंगी थाने की पुलिस ने ऐसे नशीली कारोबारियों के विरूद्ध कार्रवाई भी की है। फिलहाल सवाल उठ रहा है कि लंबे अर्से से पदस्थ एक ही थाने व चौकियों में पदस्थ आरक्षक व प्रधान आरक्षकों पर तबादला नीति के तहत स्थानांतरण क्यों नहीं किया जा रहा है इसको लेकर पुलिस महकमे में भी तरह-तरह की चर्चाएं की जाने लगी हैं।