सभी मां बाप का सपना होता है कि अपने बच्चों के शादी समारोह कुछ इस तरह यादगार बनाएं कि दुनिया याद करें कुछ ऐसा ही मध्यप्रदेश के देवास जिले के एक शिक्षक ने अपने बिटिया की शादी समारोह को यादगार बनाने के लिए किया है जिसकी तारीफ और न केवल जिले में बल्कि देश प्रदेश में भी चर्चा का विषय हो गया है। अब शिक्षक की बेटी की शादी का कार्ड सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है इस कार्ड में सोसाइटी के लिए तरह-तरह की वह सीख दी गई है जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके।बिटिया के शादी के कार्ड में पूर्वजों को साक्षी मानते हुए निमंत्रण पत्र के जरिए बेटी बचाओ, बिजली बचाओ, प्रकृति बचाओ, संस्कृति बचाओ का भी मैसेज दिया है। साथ ही पंचतत्व (क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा) के साथ आदिवासी परंपरा की भी झलक देखने को मिलती है।
शिक्षक की बेटी की शादी अनोखा कार्ड
देवास जिले के बागली के मालीपुरा गांव के रहने वाले शिक्षक बालू सिंह मूवेल ने अपनी बेटी गायत्री की शादी को यादगार बनाने के लिए अनोखा निमंत्रण कार्ड छपवाया है। इसमें उन्होंने लिखवाया है कि भले ही एक रोटी कम खाओ, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाओ, क्योंकि शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा, दहाड़ेगा जरूर। बिरसा मुंडा के बताए रास्ते पर चलने की सीख है। इस कार्ड पर आदिवासी गीत भी प्रिंट हैं। शिक्षक बालू सिंह ने बताया कि बेटी की शादी 15 अप्रैल को धार के जतिन के साथ हुई है। वे शादी को परंपरा अनुसार ही करना चाह रहे थे। यही वजह है कि उन्होंने शादी का कार्ड कुछ अलग हटकर बनवाया जिससे सिर्फ शादी नहीं एक प्रकृति वह बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का संदेश भी बन सके।
रीति-रिवाज के पालन के लिए
बालू सिंह बढ़पुरा प्राथमिक विद्यालय में टीचर हैं। उनके दो बेटे और बेटी है। गायत्री सबसे बड़ी है। गायत्री ने इंदौर से हिंदी साहित्य से एमए किया है। वह अभी बीएड कर रही है। उसने बताया कि उसका सपना टीचर बनने का है। वहीं, धार जिले के पडियाल निवासी दूल्हा जतिन भी ग्रेजुएट हैं। अभी आईआईटी के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। शादी के चार पेज के कार्ड को पश्चिम निमाड़ खरगोन के ग्राम खोलगांव के रहने वाले राकेश देवड़े बिरसावादी ने डिजाइन किया है। राकेश के अनुसार अपनी प्रकृति, संस्कृति, सभ्यता, भाषा, बोली, परंपरा, रीति-रिवाज को संरक्षित करने तथा शिक्षा के प्रति अलख जगाने के उद्देश्य से यह पत्रिका बनवाई है ताकि समाज को एक संदेश दे सकें ।