भोपाल: मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने स्कूल शिक्षा विभाग के दिवंगत शिक्षक और कर्मचारियों के आश्रितों के हित में बड़ा ऐलान किया है । उन्होंने कहा फिर आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति के नियमों को संशोधित करने की तैयारी की गई है साथ ही अनुकंपा नियुक्ति के लिए लंबित प्रकरण का त्वरित निराकरण किया जाए।
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गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री इंदर सिंह परमार ने मध्यप्रदेश के दिवंगत शिक्षक और कर्मचारी के आश्रितों अनुकंपा नियुक्ति नियमों में शिथिलीकरण को लेकर बैठक की थी। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने एक बड़ा फैसला लिया है। कहा अब शिक्षा विभाग के दिवंगत शिक्षक और कर्मचारी उनके आश्रितों ने यदि केंद्र सरकार की सीटीईटी परीक्षा या मध्य प्रदेश सरकार या किसी राज्य सरकार के शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है।
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ऐसे लोगों की परीक्षा की वैधता अवधि को संज्ञान में लिए बगैर उन्हें प्राथमिक शिक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि इस पर विचार किया जा रहा है इसके साथ ही मंत्री परमार ने कहा कि एक अन्य निर्णय लिया है निर्धारित योग्यता रखने वाले दिवंगत अध्यापक एवं नियमित शासकीय शिक्षक और कर्मचारी के आश्रितों को प्रयोगशाला शिक्षक बनाया जा सकेगा प्रयोगशाला शिक्षक के लिए पात्रता परीक्षा द्वारा चयन की प्रक्रिया को भी हटा दिया गया है।
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बता दें कि रिक्त पदों पर नियमों के अंतर्गत अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाएगी। बता दें कि प्रयोगशाला शिक्षक के पद पर शिक्षक पात्रता परीक्षा का होना अनिवार्य नहीं है इसके साथ ही उनके वेतन भी प्राथमिक शिक्षा के वेतन के समान ही हैं इंदर सिंह परमार ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए लंबित प्रकरणों की संख्या अधिक है जिसके लिए नियमों में शिथिलीकरण किया गया है इस निर्णय से संभाग और जिले में लंबित अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण का तुरंत निपटारा किया जा सकेगा।
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बता दे कि स्कूल शिक्षा विभाग में वर्ष 2014 से अनुकंपा नियुक्ति के 62 मामले हैं जिसमे 20 सामान्य 31 अन्य पिछड़ा वर्ग और 10 मामले अनुसूचित जाति की है जिसके लिए दिवंगत कर्मचारियों के आश्रितों को तीन विकल्प दिए जा रहे हैं ऐसे में उन्हें इन तीन विकल्पों में एक का चुनाव करना होगा इससे पहले अनुकंपा नियुक्ति के मामले बढ़ने पर लोक शिक्षण संचनालय के आयुक्त जयश्री कियावत ने भी नाराजगी जाहिर की थी.
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