चौथी बार सत्ता में आने के बाद से प्रदेश की शिवराज सरकार पूर्व की कमलनाथ सरकार के एक के बाद एक फैसले बदल रही है,अब शिवराज सरकार ने पूर्व की कमलनाथ सरकार का वो फैसला बदल दिया है, जिसमें महापौर ( मेयर ) का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होना तय किया गया था.कैबिनेट बैठक में तय किया गया है कि अब मध्यप्रदेश में महापौर ( मेयर ) के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे यानी अब जनता सीधे महापौर व नगर निगम अध्यक्ष चुन सकेगी.इसके लिए अध्यादेश आ चुका है,अब विधानसभा में बिल प्रस्तुत किया जाएगा।
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बता दें कि बीते साल कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने महापौर का चुनाव ‘अप्रत्यक्ष प्रणाली’ से कराने का फैसला लिया था. सितंबर 2019 में कैबिनेट बैठक के दौरान कमलनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 1999 से चली आ रही व्यवस्थाओं को बदल दिया था। विधानसभा में नगरपालिका अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित कराकर 27 जनवरी को इसे लागू कर दिया था। एक्ट में बदलाव के बाद राज्य में महापौर का चुनाव सीधे तौर पर यानी प्रत्यक्ष प्रणाली से नहीं बल्कि पार्षद ही अपने बीच से महापौर और नगर निगम के अध्यक्ष का चुनाव करते. एक्ट लागू होने के बाद महापौर और नगर निगम अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के मतों पर किया जाता यानी जिस राजनीतिक दल के पार्षद ज्यादा जीतते उनका ही महापौर चुना जाता. अब इस पूरे फैसले को शिवराज सरकार ने बदल दिया है।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के फैसले को बदल दिया है इससे अब मतदाता अध्यक्ष और महापौर के लिए सीधे वोट डाल सकेंगे. वही वार्डों का निर्धारण भी अब पूर्व के अनुसार होगा. इस बीच खास बात यह रही कि पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान मुख्यमंत्री का अपना अलग अलग तक है जहा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का मानना था कि पार्षद मिलकर मेयर या पालिका अध्यक्ष चुने क्योंकि यही लोकतांत्रिक तरीका है जैसे देश के प्रधानमंत्री और प्रदेशों में मुख्यमंत्री भी विधायक सांसद मिलकर चुनते हैं वही शिवराज सरकार का कहना है कि यह जनता का विशेषाधिकार है इसलिए महापौर और अध्यक्ष जनता ही चुने इससे विकास तेजी से होता है।
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