मध्य प्रदेश शिवराज सरकार की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस बार संविदा कर्मचारी सरकार को चेतावनी देते हुए उग्र आंदोलन की बात कही है जी हां मध्य प्रदेश के 19 हजार से अधिक कर्मचारी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है. कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि शासन द्वारा अपने भाषणों में अब और विलंब होता है तो संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी एक बार फिर विरोध का रास्ता अख्तियार कर लेंगे. दरअसल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश भर के कुल 19 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया है कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है।
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बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आंदोलन में संविदा आयुष चिकित्सक, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर, स्टाफ नर्स, एएनएम ,सहित तमाम संविदा कर्मचारी शामिल होंगे। आंदोलन के ऐलान के बाद प्रदेश भर में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा वहीं कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 1 सप्ताह के अंदर प्रदेश भर में सरकार ने संविदा कर्मचारियों की जायज मांग को नहीं माना तो कर्मचारियों द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा।
इस मामले में संभागीय समन्वयक विजय पांडे का कहना है कि वर्षों तक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाले कर्मचारी को बेरोजगार कर दिया गया। स्वास्थ्य मिशन के तहत 2600 संविदा कर्मचारियों की सेवा को समाप्त कर दिया गया और अन्य विभागीय प्रक्रिया का हवाला देकर उन्हें सेवा से हटा दिया गया है । वहीं कर्मचारियों की मांग है कि बिना किसी भेदभाव के पद कैडर का भेद करते हुए एकरूपता सही लाभान्वित किया जाए और निष्कासित साथियों की वापसी भी शत-प्रतिशत सम वर्गों की जाना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही पूर्व में आउट सोर्स में शामिल किए गए कर्मचारियों को भी एनएचएम में शामिल करके उनके भविष्य को सुरक्षित किया जाए।
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गौरतलब है कि 2018 में कर्मचारी संघ द्वारा 42 दिनों तक हड़ताल किया गया था। जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग में कर्मचारियों के लिए नई नीति तैयार की थी। इसके साथ ही संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए और निर्देश दिए गए थे । संविदा कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना जैसे भयानक काल में अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी सेवा देने वाले संविदा कर्मचारियों के साथ सरकार का यह सौतेलापन बिल्कुल भी जायज नहीं है। यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की जाएगी तो वह उग्र आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे फिर जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी।
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