सतना — सीएम शिवराज सिंह भले लाख दावे करें कि सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज किया जाता है लेकिन इन दावों के पोल खोल रही है मैहर का यह सरकारी अस्पताल जहां सभी डॉक्टरों ने अपने निजी क्लीनिक का बोर्ड लगा कर मरीजों को सीधे अपना पता बता रहे हैं। जी हां जिले के मैहर के सरकारी अस्पताल मैं डॉक्टर कम ही बैठते हैं यहां नजदीक के मेडिकल स्टोर विज्ञापन का केंद्र बने हैं और मरीजों को डॉक्टर का सीधे पाता बताते हैं यह एक दृश्य आपके समक्ष है यदि आपको इस समाचार में फूहडता नजर आती है तो मुझे माफ करिएगा लेकिन वर्तमान में हकीकत यही है।
अस्पताल एक मंडी के समान है जहां हर प्रकार के रोगी बिना बुलाए आते हैं और वहां के डॉक्टर को दिखाते हैं इसलिए डॉक्टर लोग सरकारी अस्पतालों में नौकरी मात्र इसलिए करते हैं कैसे इन मरीजों की मंडी से रोगियों को अपनी क्लीनिक भेज सकें क्योंकि किसी डॉक्टर की क्लीनिक कहां है और किसी की कहां है लेकिन मरीजों को इसकी कोई जानकारी नहीं होती इसीलिए डॉक्टर लोग मरीजों की मंडी में बैठते हैं ताकि क्लीनिक की जानकारी मरीजों को दे सकें ताकि मरीज बाद में सीधा इनके क्लीनिक पहुंच सके अब मैं जो लिखने जा रहा हूं उसके लिए मैं हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हूं यह डॉक्टर उस कोठे वालियों की तरह होते हैं जो किसी गली या फ्लैट में धंधा करती हैं और लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती कि वे कोठे वाली हमे कहां मिलेगी इसलिए यह कोठे वालिया एक मंडी बनाकर रहती हैं उस मंडी में सभी प्रकार के लोग पहुंचते हैं ग्राहक को पटा कर अपने निश्चित स्थान पर ले जाती हैं और धीरे-धीरे लोग इनके स्थान को पहचान लेते हैं और फिर सीधे उन कोठेवालियों तक पहुंच जाते हैं इसके बाद ये कोठे वालियां कोठा मंडी में आना बंद कर देती है क्योंकि ग्राहक अपने आप उन के पास पहुंचने लगते हैं ठीक उसी प्रकार डॉक्टर भी क्लीनिक में आने वाले मरीजों की भीड़ को देखकर अस्पताल आना कम कर देते हैं चूकि शासन से उन्हें एक लंबी राशि बिना काम के मिलती है और साथ में सारी सुविधाएं रहती है इसलिए अपना समय काल तक नौकरी अवश्य करते हैं लेकिन बिना जिम्मेदारी के करते हैं ताकि शासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी उन्हें यह कह दें कि आप वीआरएस ले लीजिए और जिसके लिए वे तुरंत तैयार भी हो जाते हैं मेरे द्वारा पूर्व में मैहर के सरकारी अस्पताल के संबंध में एक जानकारी दी गई कि डॉक्टर वीआरएस क्यों लेना चाहते हैं उसका मुख्य कारण है कि मैहर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर जो अस्पताल के प्रभारी भी हैं मैहर में अपना एक निजी नर्सिंग होम खोल रखे है जहां इनके साथ इनकी डॉक्टर पत्नी भी इलाज करती है यह डॉक्टर प्रदीप निगम जानबूझकर मैहर अस्पताल की व्यवस्था में ऐसे खामियां पैदा करते हैं कि रोगी और उनके परिजन परेशान होकर इनके नर्सिंग होम में भर्ती हो जाते हैं जहां काफी महंगा इलाज होता है और इनका नर्सिंग होम की कभी जांच भी नहीं हुई इनका नर्सिंग होम शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुकूल है या नहीं क्योंकि जैसी जानकारी प्राप्त हुई है कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी श्री अवधिया जी की मेहरबानी इनके ऊपर है अवधिया जी को चाहिए कि मैहर अस्पताल की सफाई और अन्य व्यवस्थाओं का भी जायजा ले सिर्फ घूमने से जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा।