सिंगरौली 14 जुलाई। वैश्विक महामारी कोरोना के भीषण दूसरी लहर के आपदा में सिंगरौली ने पांच जिलों को जीवनदायी ऑक्सीजन सिलेण्डर मुहैया कराया। किन्तु पांच जिले के प्रशासन ने काम निकलते ही संकटकाल को भूल गये। तकरीबन 9 सौ से अधिक ऑक्सीजन सिलेण्डर लौटाने की बात दूर लाखों रूपये भुगतान भी नहीं कर रहे हैं। कुछेक गैस प्लांट के व्यापारियों ने जगह-जगह कहने लगे हैं कि साहब…अब तो मेरा ऑक्सीजन सिलेण्डर तो लौटा दो।
उ
ल्लेखनीय है कि कोरोना के दूसरी ऑक्सीजन गैस को लेकर समूचे देश में मारा मारी मची हुई थी। ऑक्सीजन सिलेण्डर के कमी के चलते कोरोना पॉजीटिव हजारों मरीजों की जाने भी चली गयीं। इसको नकारा नहीं जा सकता। इस आपदा काल में सिंगरौली का प्रशासन पूरी तन्मयता के साथ ताकत झोककर ऑक्सीजन प्लांटों के व्यापारियों से बेहतर तालमेल बनाते हुए ऑक्सीजन सिलेण्डर की भरपाई करता रहा। जिले में ऑक्सीजन गैस सिलेण्डर की कमी नहीं खली। कलेक्टर राजीव रंजन मीना स्वयं मानीटरिंग करते रहे। तो वहीं एडीएम डीपी वर्मन, जिला पंचायत सीईओ साकेत मालवीय, एसडीएम ऋषि पवार व खनिज अधिकारी एके राय सहित पुलिस अधिकारी स्वयं मोर्चा संभालकर अस्पतालों में ऑक्सीजन गैस सिलेण्डर मुहैया कराने का जिम्मा उठाया था।
गैस प्लांटों मेें उक्त अधिकारी खुद डेरा डाले हुए थे। तो वहीं पड़ोसी जिला सीधी, शहडोल, रीवा, बालाघाट तथा राजगढ़, उमरिया, अनूपपुर जिले में भी सिंगरौली के प्लांटों से ऑक्सीजन गैस की सप्लाई की जा रही थी। सूत्र बताते हैं कि जिस वक्त उक्त जिलों में कोविड महामारी के दूसरी लहर में ऑक्सीजन गैस को लेकर मारामारी मची थी। वहां का प्रशासन गैस के लिए मिन्नते कर रहा था। अब हैरानी की बात है कि आपदा से निकलने के बाद सीधी, रीवा, शहडोल, बालाघाट व राजगढ़ का प्रशासन तकरीबन 9 सौ आक्सीजन सिलेण्डर नहीं लौटा रहा है और न हीं गैस व्यापारियों का लंबित भुगतान भी किया जा रहा है। सूत्र आगे बताते हैं कि उक्त जिले के प्रशासन द्वारा तकरीबन 10 लाख रूपये का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। जिससे गैस प्लांट के व्यापारी परेशान हैं तो वहीं कोविड की तीसरी की तैयारी में अड़चने आ रही हैं। साथ ही व्यापारियों के व्यवसाय पर भी प्रभाव पड़ रहा है। एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी पूरी व्यथा सुनाते हुए मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराते हुए ऑक्सीजन गैस सिलेण्डर वापस व लंबित भुगतान कराये जाने की मांग की है।
प्रशासन का दबाव,खुलकर नहीं बोल पा रहे व्यापारी
कोविड-19 के दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन गैस सिलेण्डर को लेकर जिस तरह से समूचे देश में मारामारी मची थी वह संकटकाल किसी से छुपा नहीं है और इसमें प्रदेश के कई जिले भी आक्सीजन गैस के संकट से जूझ रहे थे। सिंगरौली के रीवा गैसेस, सिंगरौली गैसेस, विन्ध्याचल गैस सहित एक अन्य गैस प्लांटों से ऑक्सीजन की सप्लाई सीधी, रीवा, शहडोल, उमरिया,अनूपपुर, बालाघाट, राजगढ़ जिले में की जा रही थी। उस वक्त सिंगरौली जिला प्रशासन द्वारा आश्वस्त किया गया था कि समय पर ऑक्सीजन गैस भुगतान व सिलेण्डर को तत्काल वापस करा दिया जायेगा। आरोप है कि जिला प्रशासन भी अपने वायदे से मुकर गया है। ताो वहीं यह भी आरोप लग रहा है कि गैस प्लांटों के व्यापारी खुलकर अपनी बातें नहीं रख पा रहे हैं। इसमें कहीं न कहीं जिला प्रशासन का दबाव झलक रहा है।
ऐसे में कैसे होगी कोरोना के तीसरी लहर की तैयारी
कहावत है कि काम निकला तो पहचानते नहीं। जब तक कोरोना की दूसरी लहर का भयावह प्रकोप था उस दोरान सीधी, रीवा, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, राजगढ़, बालाघाट का प्रशासन सिंगरौली जिले के प्रशासन से ऑक्सीजन गैस उपलब्ध कराने के लिए बराबर मिन्नते करते रहे। काम निकलते ही भुगतान के साथ-साथ खाली ऑक्सीजन सिलेण्डर भी लौटाने में उमरिया व अनूपपुर को छोड़कर शेष 5 जिले के प्रशासन गुरेज कर रहा है। अब सवाल उठ रहा है कि जिस तरह से कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जोर शोर से जतायी जा रही है। क्या इस तैयारियों से तीसरी लहर को मात दे पायेंगे? वहीं जानकारी में बताया जा रहा है कि सीधी 75, रीवा 4 सौ, शहडोल 150,बालाघाट 100, राजगढ़,200 खाली सिलेण्डर अभी तक नहीं लौटाया है। तो वहीं शहडोल के प्रशासन द्वारा करीब एक सैकड़ों खाली ऑक्सीजन सिलेण्डर दूसरे जिले का वापस भेज दिया है। ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट के व्यापारी काफी परेशाान हैं।