सीधी – सरहद पर एक सैनिक तैनात रहता है देश की सुरक्षा के लिए लेकिन जब वह अपने परिवार के पास जाता है उसका परिवार जो मीलों दूर देश के किसी न किसी कोने में रहता है उसकी सुरक्षा का जिम्मेदार कौन है हम आपको ऐसी कहानी सुना रहे हैं रिटायर्ड फौजी सूर्यभान प्रसाद की जो देश की सुरक्षा में कई लड़ाईयों में अपनी सहभागिता निभा चुके है,वर्षो सेवा करने के बाद भी अब दाने-दाने को मोहताज होना पड़ रहा है,जिसकी एक वानगी सीधी के बढ़ौरा में रिटायर्ड फौजी सूर्यभान प्रसाद साथ बीत रहे दिन बयां कर रहे है, रिटायर्ड हुए फौजी पिछले चालीस बर्षो से पेंशन आना बंद हो चुकी है जिससे उन्हें अब अपना गुजारा करने में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है,अनेक बार शिकायत कर चुके है लेकिन नतीजा आज दिन तक सामने नहीं आ सका है,वही अब कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई है।
16 साल तक देश की सुरक्षा, दाने-दाने को मोहताज
सीधी जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित बढौरा गांव के निवासी ये है भूतपूर्व सैनिक सूर्यभान प्रसाद जो वर्ष 1961 में देश की रक्षा करने के लिये सेना में भर्ती हुये थे,इन्होंने वर्ष 1977 तक अपनी सेवाएं दी है,16 वर्ष तक देश की रक्षा के लिये अपनी सेवाएं देने के बाद भी अव ये दाने दाने को आज मोहताज हो रहे हैं। वर्ष 1981 से पेंशन न मिलने की वजह से अब दर दर भटकने को मजबूर है,जबकि इन्होंने देश के अनेक बड़ी लड़ाई पाकिस्तान और चीन से लड़ चुके है,इन्हें मिलेट्री के कई मेडल मिले थे जिन्हें आज भी यह सजोह कर रखे हुए है,अब इनकी हालात यह बन चुकी है कि ना तो ठीक ठाक रहने को घर है और ना ही कोई आमदनी का स्रोत,लिहाजा टूटी फूटे कच्चे मकान में रहकर बरसों से अपना जीवन गुजार रहे हैं।
पहले देश के लिए लड़ा अब पेंशन के लिए लड़ रहे
रिटायर्ड फौजी की उम्र 90 वर्ष से अधिक हो चुकी है,जो खेती किसानी करने में भी अब यह सक्षम नहीं है, बरसों पहले एक आपराधिक मामला इन पर दर्ज हो गया था जिसकी वजह से इन्हें जेल में भी सजा भी काटनी पड़ी थी, इन्होंने बताया कि सन 1971 में श्री नगर से पाकिस्तान बॉडर गया हुआ था,जहाँ लड़ाई हुई थी जिसका नाम था झंडी मली था आगे इन्फेंट्री की टीम थी पीछे हम लोग थे जहाँ फायर करते थे,जिसमें बहुत मिलेट्री के लोगो भी मारे गये थे,अब यह अपनी पेंशन की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है,एक बार सन 1980 में जेल चला गया था तब से पेंशन आना बंद हो गई है कई दफा शिकायत करने के बाद आज दिन तक सुनवाई नहीं हो सकी है।
दबंगों ने आपराधिक मामलों में फंसाया,जिसकी सजा भी काटी
रिटायर्ड फौजी के घर की बिगड़ी आर्थिक हालात और अपाहिज बने बैठे फौजी का कसूर सिर्फ इतना था कि इनके खिलाफ यहां के नजदीकी थाने में एक आपराधिक मामला दर्ज हो गया था जहां जेल की सजा भी काट चुके हैं लेकिन पेंशन जब से बंद हो गई है सो आज दिन तक शुरू नहीं हो सकी इनके बेटे का कहना है कि कुछ गाँव के दबंगो द्वारा पिताजी को आपराधिक मामले में फसा दिया गया था जिससे जेल में सजा भी कटनी पड़ी है,जिससे हम लोगो की दिनचर्या बहुत कठिनाईयों से गुजर रहा है,हालत यह बनी हुई है कि खाने पीने और घरेलू जरूरतों को भी पूरा नहीं कर सकते है,काई दफा इसकी शिकायत की गाई लेकिन परिणाम कुछ नही निकल रहा है,चूंकि हमारे पास अधिकारियों को दिनों को रिश्वत नही है जिससे हमारा काम नही हो रहा है।
इनका कहना है
कलेक्टर का कहना है कि सन 1980 में एक क्रमिनल केश दर्ज हुआ था तब इनका पेंशन बंद हो गया है,जिला पेंशन अधिकारी को बोला हूँ परीक्षण कराऊंगा अगर पात्रता होगी तो बिल्कुल मैं खुद पेंशन देने की पहल करूंगा। रविंद्र चौधरी-कलेक्टर – सीधी
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