सीधी– जिले के पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.एल. वर्मा का निलम्बन न्याय की जीत का प्रथम चरण है। सपाक्स संस्था के जिला नोडल अधिकारी डॉ. अरुण सिंह चौहान ने बताया कि जिले के चुरहट स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ डॉ. शिवम मिश्रा ने एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग की प्रताड़ना से तंग आकर जनवरी 2019 में आत्महत्या कर ली थी।
सपाक्स संस्था और सपाक्स समाज के दवाब के कारण डॉ. शिवम मिश्रा की आत्महत्या के 9 महीने पश्चात सितंबर 2019 में सरकार द्वारा एक न्यायिक जांच कमेटी का गठन किया गया था जिसकी जाँच रिपोर्ट मई 2020 में आई थी। जाँच रिपोर्ट के अनुसार डॉ. मिश्रा ने स्टाफ नर्स अंजना मर्सकोले द्वारा झूठे एट्रोसिटी एक्ट में फसाने की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की थी। डॉ. मिश्रा को प्रताड़ित करने में स्टाफ नर्स अंजना मर्सकोले का साथ देने के लिये अन्य तीन लोग चुरहट नगर निरीक्षक ए.एच. सिद्दीकी, तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएल वर्मा एवं कृष्ण कुमार पाण्डेय को भी आरोपी बनाया गया था ।
बता दें कि डॉ. शिवम मिश्रा आत्महत्या प्रकरण में दोषी पाए गए तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर एल वर्मा के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर कोर्ट में चालान प्रस्तुत हो गया तो अपर संचालक स्वास्थ्य सेवाएं मध्य प्रदेश शासन भोपाल द्वारा तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर एल वर्मा को उनके पद से निलंबित कर दिया गया है। सपाक्स संस्था के जिलाध्यक्ष आशुतोष तिवारी, डॉ. डी के द्विवेदी, विनोद दुबे, अजय श्रीवास्तव, राम मोहन द्विवेदी, अनुराग पाठक, अखिलेश गौतम, विनय मिश्रा, अरविन्द श्रीवास्तव, अखिल शुक्ला, शैलेन्द्र सिंह बालेन्दु, राकेश रतन गुप्ता, के पी सिंह आजाद, अखण्ड प्रताप सिंह सहित सपाक्स के सभी साथियों ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा है कि डॉ. शिवम मिश्रा प्रकरण में मिली न्यायिक जीत सीधी सपाक्स संस्था एवं समाज के सयुंक्त मेहनत का नतीजा है। सीधी सपाक्स टीम ने इस प्रकरण में शासन प्रशासन पर हमेशा दवाब बनाकर रखा उसी का परिणाम है कि आज आरोपियों पर अपराध पंजीबद्ध कर उन्हें उनके पद से निलंबित भी किया जा रहा है और जब तक सभी आरोपियों को उनके पद से निलंबित करवा कर उन्हें सजा नहीं दिलवा देते है तब तक सपाक्स संस्था एवं समाज आराम से नहीं बैठेंगे।