जिंदा भूतों ने कहा सीएमएचओ पर दर्ज हो हत्या का मुकदमा
बैकफुट पर सीएमएचओ, गलती सुधारने के बजाय मीडिया पर मढ़ रहे थे आरोप
सीधी — जिले का नाम तो सीधी है लेकिन यहां का सरकारी काम बहुत ही टेढ़ा है। जिले का सारा सिस्टम राजनेताओं की भेंट चढ़ते हुए उनके हाथों में रहता है। शर्मनाक और हैरानी की बात ये है कि आईसीयू में किसी गंभीर बीमारी मरीज को भर्ती होने के लिए जिन नेताओं को आप वोट देकर विजयी किए हैं उन्ही नेताओं के चक्कर लगाना पड़ता है और यदि किसी नेता का फोन नहीं आएगा तो मरीज तड़प के मर जाएगा लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं होगी। हां अगर किसी नेता का रिश्तेदार है तो उसको अच्छा ट्रीटमेंट मिल सकता है।
हैरानी और शर्मनाक बात ये है कि सरकारी सिस्टम की कुर्सी में बैठे नुमाइंदे अगर कोई गलती करते हैं और मीडिया उसको उजागर करती है तो भ्रष्ट सिस्टम का सहारा लेकर मीडिया पर ही आरोप मढ़ देते हैं। ऐसा ही मामला बीते दिनों सामने आया जब सोशल मीडिया में स्वास्थ्य विभाग की एक ऐसा सूची वायरल हुई जिसने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया। कमाल की बात यह रही कि अपने इस बड़ी गलती को छुपाने और पर्दा डालने के लिए भ्रष्ट अधिकारियों मीडिया पर ही आरोप लगा दिया।
क्या था मामला…?
बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई जहां तकरीबन आधा दर्जन जीवित व्यक्तियों को विभाग की जारी बिना सील मोहर की मृतकों की सूची में मृत घोषित किया गया था। मीडिया के हाथों ये सूची लगने के बाद जब इसकी तहकीकात की गई तो मामला कुछ और ही निकला और इस सूची में दर्ज नामों में से तकरीबन आधा दर्जन लोग जिंदा निकले। मीडिया में खबर प्रकाशन के बाद अपनी भद्द पिटने पर हरकत में आए स्वास्थ्य अधिकारियों ने उस सूची को दोबारा एडिट करके सुधारने का प्रयास किया गया, सूची तो सुधर गई लेकिन अपनी गलती सुधारने की वजाए मीडिया पर आरोप लगा दिया गया।
मुर्दों ने कहा मैं जिंदा हूं…
इस पूरे मामले में जीवित व्यक्ति जो स्वास्थय विभाग के द्वारा मुर्दा घोषित कर दिए गए थे उसमें अमित सिंह पिता रामचंद्र सिंह उम्र 26 साल निवासी गाडा, अनुज सिंह पिता धीरेंद्र सिंह उम्र 11 वर्ष निवासी गाडा, अभिषेक सिंह पिता शिव कुमार सिंह निवासी गाडा एवं जोगीपुर निवासी जमुना सिंह जिन्होंने 2 दिन पूर्व अपने जिंदा होने की पुष्टि मीडिया कर्मियों से मोबाइल में संपर्क के दौरान की थी उन्होंने कल शुक्रवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर मीडिया के सामने अपने जिंदा होने के सापेक्ष सबूत देते हुए इस पूरे मामले में दोषी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाते हुए कहा कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए तथा सीधी जिले से हटाने की मांग पीड़ितों द्वारा की गई है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
पूरे मामले को लेकर प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठने लगे हैं, स्वास्थ्य विभाग के कई कारनामे सामने आ गए लेकिन अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा लापरवाह कर्मचारियों पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिससे अब जिला प्रशासन भी कटघरे में आ चुका है।
धमकाने पर उतरा एपिडेमियोलॉजिस्ट
खबर प्रकाशन के बाद एपिडेमियोलॉजिस्ट माधव पांडे मीडिया कर्मियों को ही धमकाने में उतर आया है। भ्रष्ट सरकारी सिस्टम के सहारे मीडिया कर्मियों से अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए, देख लेने की धमकी दी जा रही है। ये पूरा मामला सीएमएचओ कार्यालय का है जहां नोटिस का जवाब देने गए मीडिया कर्मियों को आरोपी डॉक्टर के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के सामने धमकी दी जा रही थी।
अब बैकफुट पर स्वास्थ्य विभाग
अपनी गलती सुधारने की वजह है मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा खबर प्रकाशन के बाद खबर की खंडन की भरपूर कोशिश की गई लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई। उल्लेखनीय है कि आंकड़े चुराने तथा जीवितों को मुर्दा घोषित करने के फिराक में असफल होने के बाद इस पूरे मामले पर बैक फुट में आए स्वास्थय विभाग के अधिकारी पूरे मामले पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश में जुट गए हैं।