जिले में हाईटेक ड्रग को रोंकने कड़ी निगरानी जरूरी
सीधी– जिले में हाईटेक ड्रग्स स्मैक की इंट्री के बाद पुलिस के समक्ष अब कड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है। गनीमत ये रही कि सूचना मिलते ही पुलिस द्वारा त्वरित कार्यवाई करते हुए मयापुर में नशे के सौदागरों को धर दबोचा गया। फिर भी स्मैक की थोड़ी जब्ती के बाद भी यह खतरा बना हुआ है कि नशे के सौदागरों द्वारा सीधी जिले में अपना कारोबार फैलाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ही अपना ठिकाना तलाशा जा रहा है।
नशे के कारोबार के यूपी से जुड़े हैं तार
मयापुर में बहरी थाना पुलिस की कार्यवाई के पश्चात ये जानकारी सामने आई कि उत्तर प्रदेश से स्मैक की आपूर्ति की जा रही थी। आगे भी स्मैक के कारोबारियों द्वारा जिले के उत्तर प्रदेश से लगी सीमाओं पर ही अपना अड्डा तलाशा जा सकता है। इसके लिए स्मैक के सौदागरों द्वारा उन कारोबारियों से सांठ-गांठ बनाई जा सकती है जो पहले से ही नशे के कारोबार में लिप्त हैं। दरअसल सीधी जिले में नशीले सिरप का कारोबार काफी फैल रहा है। संबंधित कारोबारी नशीले सिरप की व्यवस्था भी उत्तर प्रदेश से ही ज्यादातर बनाते हैं। इसके चलते उनका संपर्क बाहर के नशा कारोबारियों से बना हुआ है। स्मैक का नशा काफी महंगा होने के कारण संबंधित कारोबारी बड़े घरों के युवाओं को ही निशाने में लेने की तैयारी बना सकते हैं। नशीले सिरप की लत में फंसे युवाओं का भविष्य पहले ही बर्बाद हो रहा है।
आज स्थिति यह है कि शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक नशीली सिरप काफी आसानी के साथ उपलब्ध है। नशीले सिरप के आदी युवाओं का जमघट मुख्य सड़कों से हट कर चाय-पान की दुकानों के समीप बना रहता है। यदि स्मैक का नशा सीधी जिले में दाखिल होकर अपनी पैठ जमाया तो इसके काफी दुष्प्रभाव सामने आएंगे। दरअसल युवा मन को जोश व उमंंग की उम्र कहा जाता है। यही उम्र का पड़ाव होता है जब भविष्य को लेकर युवा मन द्वारा लक्ष्य का निर्धारण किया जाता है। विडंबना यह है कि जिले के काफी संख्या में युवाओं की नशो में जोश कम नशा तैरता ज्यादा दिखाई दे रहा है। ऐसे में कयास लगाए जा सकते हैं कि जिले में विभिन्न तरह के नशे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है और युवा पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही है।
नशा मुक्ति अभियान संजीवनी के तहत हो रही बड़ी कार्यवाई
पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा चलाए जा रहे नशा मुक्ति अभियान संजीवनी के तहत सीधी जिले में पुलिस अधीक्षक पंकज कुमावत एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुश्री अंजूलता पटेल के निर्देशन में लगातार बड़ी कार्यवाई हो रही है। नशे के सौदागरों के विरुद्ध हो रही कार्यवाई के चलते उनके हौंसले लगातार पस्त हो रहे हैं। पुलिस को जहां भी अवैध नशा बिकने की सूचना मिलती है त्वरित दबिश कार्यवाई हो रही है। जिले में नशे के सौदागरों की जडें काफी नीचे तक जानें के कारण यह पूरी तरह से खत्म नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में गांजा के साथ नशीले सिरप का कारोबार काफी ज्यादा बढ़ रहा है। युवा पीढ़ी नशीले सिरप का उपयोग करनें में आगे नजर आ रही है। पुलिस के समक्ष यह भी बड़ी चुनौती है कि जहां भी अवैध नशा का कारोबार हो रहा है उसकी सूचना स्थानीय रहवासियों द्वारा नहीं दी जाती। यदि किसी तरह पुलिस की कार्यवाई एक ठिकाने पर होती है तो कुछ समय बाद अगले ठिकानें पर कारोबार शुरू हो जाता है।
युवा पीढ़ी है निशाने पर
जानकारों के अनुसार नशीले सिरप के कारोबारी अपने धंधे में ऐसे युवा लोगों को शामिल कर रहे हैं जो नशीले सिरप की कुछ सीसी लेकर घूमते फिरते रहते हैं। इससे उन्हें यह फायदा मिलता है कि नशे का पूरा स्टॉक पकड़े जानें का खौफ नहीं होता। पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले में चलाए जा रहे अभियान का नतीजा ही है कि मयापुर में शुरुआती दौर में ही स्मैक के अवैध कारोबार का खुलासा होनें के साथ ही लिप्त लोग भी पकड़े गए।
मुखबिर तंत्र का मजबूत होना आवश्यक
जिले में नशे के अवैध कारोबार को नेस्तानाबूत करनें के लिए पुलिस के पास मजबूत मुखबिर तंत्र का होना काफी आवश्यक है। मुखबिरों के माध्यम से ही पुलिस को यह जानकारी मिलती है कि किस स्थान पर अवैध रूप से नशा का कारोबार हो रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि यदि किसी भी एकांत स्थल में युवाओं का जमावड़ा हर समय लगा रहता है तो वहां अवैध रूप से नशा का कारोबार होनें की संभावना पुख्ता रहती है। इस कारोबार में जो लोग लिप्त हैं उनके द्वारा युवाओं को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध करानें के लिए सभी प्रबंध किए जा रहे हैं।
जिला मुख्यालय पर भी हैं कई अड्डे
जिला मुख्यालय में ही कई ऐसे ठिकाने हैं जो एकांत में चाय, पान, गुटखा कारोबार के नाम पर अवैध नशा युवाओं को परोस रहे हैं। शहर के कोटहा स्कूल के समीप भी इसी तरह का कारोबार करीब 3 वर्षों से चल रहा है। जहां पर सुबह से लेकर देर शाम तक युवाओं का जमावड़ा बना रहता है। युवाओं की सुविधा के लिए एकांत में चाय, पान की दुकान भी संचालित हो रही है। जिससे युवाओं को कहीं भटकना न पड़े। स्कूल का पिछवाड़ा होनें के कारण यहां एकांत का वातावरण हर समय बना रहता है। इसी तरह अन्य कई अड्डे भी संचालित हो रहे हैं।
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