Shani Amavasya 2021:
4 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या है। शनिवार होने के कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या कहा जाता है। ज्योतिष मे इस दिन का काफी महत्व माना जाता है। लेकिन आज ग्रहण होने के कारण पूजा पाठ करना निषेध होगा। पूजा-पाठ और उपाय करने से लंबा चला आ रहा दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल सकता है। शनि अमावस्या के दिन अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए दान स्नानऔर पूजा-पाठ किया जाता है । खासकर पितृ दोष वाले लोगों के जीवन में उन्नति, तरक्की, सुख, शांति और संतान सुख नहीं होता। ऐसे में शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन विधिपूर्वक उपाय करके कुंडली से पितृ दोष को भी समाप्त किया जा सकता है।
ग्रहण में ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के 12 घंटे पूर्व ही सूतक काल लग जाता है।इस बार 4 दिसंबर को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा, और यह दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा। कहा जा रहा है सूर्य ग्रहण आंशिक होगा। सूर्य ग्रहण का असर भारत में नहीं देखा जाएगा। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं सूतक काल के नियम और इसी के साथ सूर्य ग्रहण मे ना किए जाने वाले कार्य
सूतक के नियम :
इस दिन पानी को छानकर और उसमें तुलसी पत्ता डालकर ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है।गर्भवती महिलाओं को विशेष तौर पर दहलीज पार नहीं करने दिया जाता और ना ही चाकू का उपयोग करने दिया जाता है। इस दिन सूर्य ग्रहण के बाद घर में सभी ओर गंगा जल से शुद्धीकरण किया जाता है।ग्रहण के खत्म होने के बाद भोजन बनाना और खाना होता है और भोजन में तुलसी का पत्ता जरूर मिलाते हैं। कहा जाता है इस दिन मंदिर में प्रतिमा का शुद्धिकरण भी किया जाता है। ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखा जाता है।
सूर्य ग्रहण के दौरान भूलकर भी ना करें ये काम –
1. सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए।
2. घर में या मंदिर में पूजा पाठ और मूर्ति स्पर्श नहीं करना चाहिए।
3. खुली आंखों से ग्रहण नहीं देखना चाहिए नकारात्मक असर होता है।
4. गर्भववती महिलाओं को दहलीज पर नहीं करना चाहिए और घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
5. ग्रहण खत्म होने के बाद जल को शुद्ध किए बिना पानी नहीं पीना चाहिए।
6. ग्रहण के दौरान सभी तरह के आग से संबंधित काम नहीं करते हैं, जैसे दाह संस्कार, यज्ञ कर्म,हवन आदि।
7. सब्जी बनाना और खाना बनाने जैसा काम भी नहीं करना चाहिए।
संकट से बचने के लिए करें ये काम:
सूर्य ग्रहण और शनि अमावस्या दोनों एक ही दिन एक साथ पड़ रहा है. ऐसे में सूर्य ग्रहण के साथ ही शनि देव के नकारात्मक प्रभावों का भी सामना करना पड़ सकता है।किस लिए नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए आपको कुछ कार्य करने होंगे।
– इस दिन पंचामृत करने के बाद सरसों या तिल के तेल से शनि देव का अभिषेक करें, साथ ही शनि चालीसा का भी पाठ करें।
– आज के दिन सभी को दान करने से शनि अमावस्या और ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव कम होगा।
– इस दिन तेल, उड़द कि.दाल ,काला कपड़ा, काली तिल, जूते-चप्पल, लकड़ी का पलंग, छाता, काले कपड़े का दान करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म हो जाता है,शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
– ग्रहण समाप्त होने के बाद गंगा जल घर में चारों तरफ अंदर और बाहर छिड़काव करना चाहिए।
– ग्रहण खत्म होने के बाद एक बार फिर स्नान करना चाहिए।पुराने कपड़ों को साफ पानी से धोना चाहिए।
– ग्रहण काल के शुरू होने से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्ता डालना चाहिए।