गुना । जिले के कई पटवारी करोड़ों की शासकीय जमीन कौड़ियों के दाम बेच दी है। जी हां जिले की चांचौड़ा और कुभराज तहसील की 50 ग्राम पंचायतों में शासकीय जमीनों में मालिकाना हक बता कर 19 से अधिक पटवारियों ने शासकीय जमीन में घोटाला किया है। मास्टरमाइंड पटवारी ऋतुराज रागी ने चार अन्य पटवारियों से मिलकर 100 हैक्टेयर जमीन का कंप्यूटर पर फर्जी बंटाकन कर दिया। इस घोटाले में 19 पटवारी और एक कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल था। पांचो आरोपित पटवारी आधी रात के तहसील कार्यालय पहुंचकर दूसरे हलकों के पटवारियों की आईडी पासवर्ड हैक कर फर्जी बटांकन करते थे। घोटाला सामने आने पर एसडीएम राजीव समाधिया ने फर्जी तरीके से जमीन घोटाला करने वाले 5 पटवारियों की सेवा समाप्त कर दी है। उधर कंप्यूटर ऑपरेटर की सेवा समाप्ति के लिए एसडीएम ने कलेक्टर को पत्र भेजा है।
ऐसे हुआ जमीन घोटाले का खुलासा
एसडीएम से पटवारी ऊधम सिंह ने इस बात की शिकायत की थी कि उसने अपने हल्के में किसी भी जमीन का बटन का नहीं किया गया लेकिन उसके हल्के में बटांकन हुआ है। एसडीएम ने जब शिकायती हल्के में हुए फर्जी बटांकन पर जांच की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए जांच मेंं ऐसे नंबर प्रकाश में आए जो सर्वे में था ही नहीं। एक शिकायत करने बैठे एसडीएम जांच के दौरान कई ऐसे नंबर मिले जो सर्वे में नहीं थे।
हैक करने के लिए लगाया सॉफ्टवेयर
जांच में खुलासा हुआ है कि शातिर कंप्यूटर ऑपरेटर ने हैक करने को लेकर सॉफ्टवेयर लगा दिया। पटवारी दिन में अपने हल्को का काम किया करते थे लेकिन जब तहसील कार्यालय बंद हो जाता था तो रात में कंप्यूटर ऑपरेटर क्रांति श्रीवास्तव के साथ मास्टर माइंड पटवारी मिथुन सोनी, दौजीराम राठौरिया,अरविंद मेवाड़े, और रघुवीर सिंह यादव तहसील कार्यालय में पहुंच जाते थे। रात को 11 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक दूसरे हल्कों के पटवारियों के हल्कों के आईडी और पासवर्ड हैक कर फर्जी बटांकन एक महीने तक किया। विभागीय जांच के बाद एसडीएम चांचौड़ा ने इन पटवारियों को बर्खास्त कर दिया है।
8 और पटवारी हो सकते हैं बर्खास्त
प्रदेश में सरकारी जमीन घोटाले करने वाले पटवारियों के खिलाफ है पहली कार्यवाही हुई है। जांच अधिकारियों का कहना है कि अभी हाल में 5 पटवारियों को बर्खास्त किया गया है 8 और पटवारी विभागीय जांच के जद में है। 7 की वेतनवृद्धि रोक दी गई है। एक ऑपरेटर भी इन पटवारियों के साथ मिला था, उसकी सेवा समाप्ति को लेकर पत्र कलेक्टर लिखा है।
किसानों ने प्राइवेट बैंकों से बनवाई केसीसी
विभागीय जांच में सामने आया कि जिन सरपंच और किसानों के बटांकन किए गए थे, सभी ने प्राइवेट बैंकों से केसीसी पर लोन लिया था। फिलहाल प्रशासन ने बैंक से लोन लेने वाले किसान और राजनीतिक रसूख रखने वाले लोगों की सूची मांगी है, लेकिन अभी तक बैंक ने सूची उपलब्ध नहीं कराई है। सूत्रों की माने तो बटांकन के इस घोटाले में कई सफेदपोश भी जांच के जद में है।
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