हाल ही में मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री डी.पी. शुक्ला 10 सूत्रीय माँगो को लेकर के जियावन थाने के सामने धरने पे बैठे थे। जिसमें मुख्य मुद्दा रेल्वे भू-अर्जन में किया गया 300 करोड़ के भ्रष्टाचार की जाँच कर दोषियों के ऊपर कार्यवाही करने का था। डी.पी. शुक्ला द्वारा धरने पे बैठेने से पूर्व कलेक्टर, एसपी, SDOP कार्यालय, थाना समेत कई जगह धरने पे बैठने की सूचना लिखित में दी गई थी। जिसके पश्चात डी.पी. शुक्ला भूअर्जन भ्रष्टाचार पीड़ित लोगों के साथ शांतिपूर्ण तरीक़े से जियावन थाने के सामने धरने पे बैठ गए। उनके द्वारा कई उदाहरण सहित दिखाया गया की आख़िर कैसे धारा 21 एवं 22 की नोटिस के बाद मूलभूस्वामी की सहमति के बिना मनमाने ढंग से मकानों को कुछ सरकारी भूमाफ़ियाओं के नाम दर्ज कर दिया गया एवं साथ ही भू-अर्जन अधिनियम 2013 के नियमों के विपरीत अवार्ड पारित होने के बाद बिना किसी को जानकारी दिए प्रभाजन कर राशि का भुगतान कर दिया गया है।
मुआवज़ा भुगतान में भूमाफ़ियाओं की राशि का भुगतान आइएएस आकाश सिंह के द्वारा मूल भूस्वामियों से पहले कर दिया गया है जबकि मूलभस्वामियों ने मुआवज़ा भूगतान से पूर्व अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। किंतु एक ओर जहां मूल भू स्वामी आज तक अपनी राशि पाने के लिए दर दर भटक रहें हैं वहीं भूमाफिया मुआवज़ा प्राप्त करने के बाद अब कहीं और बंदर बाँट की तैयारी करने में मशगूल हैं।श्री शुक्ला ने दावा किया की उनके पास अपने आरोपों को सिद्ध करने के लिए तमाम दस्तावेज उपलब्ध है।
अनशन के दौरान डी.पी. शुक्ला के द्वारा तहसीलदार, नायबतहसीलदार, पुलिस समेत अन्य प्रशासनिक अमले के सामने आईएएस आकाश सिंह पर आरोप लगाया गया की पूरे भ्रष्टाचार के सूत्रधार आईएएस महोदय स्वयं हैं। श्री शुक्ल ने कहा की उनके एवं अन्य ग्रामीणो के मकान की चोरी आईएएस आकाश सिंह के द्वारा करवाई गई है। डी.पी. शुक्ला द्वारा आईएएस को मकान चोर कहते हुए कहा गया की अगर वो निराधार आरोप लगा रहें हैं तो आईएएस उनके ऊपर त्वरित कार्यवाही करें। किंतु चूँकि श्री शुक्ल के द्वारा लगाए आरोपों में सत्यता थी इसलिए पूरा प्रशासनिक अमला डर गया एवं श्री शुक्ला का अनशन शांतिपूर्ण तरीक़े से तहसीलदार दिव्या सिंह, नायब तहसीलदार राजकुमार रावत व थाना प्रभारी कपूर त्रिपाठी के द्वारा समाप्त करवाया गया।
किंतु अपनी सार्वाजनिक रूप से हो रही किरकिरी से खार खाए आईएएस ने अपने कनिष्ठ अधिकारी कुलदीप मिश्रा से एक झूठी शिकायत दिलवाई की श्री शुक्ला आईएएस को भद्दी गालियाँ एवं जान से मारने की धमकी दे रहें हैं। श्री शुक्ला द्वारा बताया गया उनको इस बात का पहले से आभास था की उनकी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ी जा रही लड़ाई को दबाने के लिए भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी एवं स्थानीय भूमाफिया किसी भी हद तक जा कर उनको नुक़सान कारित करने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए श्री शुक्ला के द्वारा थाना जियावन, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, पुलिस अधीक्षक सिंगरौली, आईजी पुलिस रीवा एवं पुलिस महानिदेशक मध्य प्रदेश को सैकड़ों पत्र लिखे गए थे। अनशन बैठने के लिए जानबूझकर थाना जियावन के सामने की जगह का चुनाव किया गया ताकि बाद में कोई किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घटे।
लेकिन इसके बावजूद अपने भ्रष्टाचार को उजागर होने के डर से आएएस आकाश सिंह के द्वारा आरोप लगवाया जा रहा है की श्री शुक्ला द्वारा आईएएस को जान से मारने की धमकी दी गई। यह निराधार आरोप अपने आप में हास्यास्पद है की कोई व्यक्ति सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी को प्रशासन एवं पुलिस के समक्ष थाने के सामने के सामने बैठ कर गाली दे रहा है एवं पुलिस के द्वारा उनको गिरफ़्तार नही किया गया। उल्टा धरना समाप्ति पर ससम्मान ज्ञापन लेकर के घर के लिए रवाना किया गया। उसके बाद आईएएस आकाश सिंह के दवाब में झूठी शिकायत दर्ज कर ली गई।
पूर्व में होता यह था की अपराधी अपराध करने के बाद प्रशासन से भागना शुरू कर देते थे किंतु सिंगरौली में आज कल उल्टी गंगा बह रही है। किंतु श्री शुक्ल के द्वारा कहा गया की उनके द्वारा कलेक्टर, एसपी व स्वयं आईएस आकश सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु सिंगरौली का प्रशासन इतना भयाक्रांत है की फ़ोन उठाने में डर रहा है, जो प्रशासन आईएएस की सुरक्षा नही कर सकता वो आमजनता को क्या सुरक्षित करेगा।।
श्री शुक्ला द्वारा कहा गया की या तो आईएएस आकाश सिंह उन्हें झूठा आरोप लगाने के लिए मानहानि का नोटिस दें एवं श्री शुक्ला द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी करवाएँ। किंतु अगर ऐसा ना किया गया तो श्री शुक्ला ने मीडिया को बताया गया की उक्त प्रसंग एवं कई अन्य मामलों में जिस प्रकार आकाश के द्वारा उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है उसके लिए जल्द ही अपने वकीलों से परामर्श के बाद मानहानि का नोटिस आकाश सिंह को प्रेषित करेंगे।