बालाघाट। मध्य प्रदेश से प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की एक मार्मिक तस्वीर मंगलवार को सामने आई है, कोई दूसरी तरफ सरकार के बड़े-बड़े दावों की यह तस्वीर पोल खोल रही है जी हां जहां एक मजबूर पिता 800 किमी दूर से अपनी गर्भवती पत्नी व नन्ही बेटी को हाथ से बनी लकड़ी की गाड़ी पर खींचकर लाता दिख रहा है।बताया जा रहा है कि बालाघाट के हट्टा थाना क्षेत्र के कुंडे मोहगांव निवासी मजदूर रामू घोरमारे ने जब हैदराबाद में काम नहीं मिला तो अपने गांव वापस आने लोगों से मदद की गुहार लगाई, हैदराबाद से लेकर मध्ययप्रदेश पहुंचने तक हजारों लोग मिले लेकिन किसी ने मदद नहीं की लेकिन जब कोई मिन्नत काम नहीं आई तो उसने खुद सफर करने की ठान ली।
17 दिन में 800 किलोमीटर का सफर किया तय
मासूम बेटी और गर्भवती पत्नी के साथ 17 दिन में करीब 800 किमी का सफर तय कर अपने मुकाम में पहुंचा दो सारी थकान काफूर हो गई था। इस सफर को तय करने में पत्नी ने भी हौसला व साथ दिया। कुछ दूर रामू गृहस्थी और मासूम बेटी को कांधे पर लादकर कुछ दूर चला, कुछ सामान पत्नी ने भी लादा, लेकिन यह मुश्किल सफर था। फिलहाल बालाघाट के रजेगांव पहुंचते ही यहां पुलिस ने उसकी मदद की।बच्ची को बिस्किट और चप्पल लाकर दी,उसे स्वल्पाहार कराकर गाड़ी से घर तक पहुंचाया।
घर पहुंचना ही एकमात्र मकसद
लाख डाउन में बेरोजगार होने पर रामू ने घर जाने की ठान ली, हैदराबाद से चला दो सिर्फ एक ही मकसद था घर पहुंचना फिर सामने पहाड़ जैसे समझता है क्यों ना रही हो सब कुछ झेल गया. गर्भवती पत्नी व मासूम बच्ची सहित घर का सामान भी था ऐसे में चलना काफी कठिन लग रहा था तो रामू ने बचपन में खेलने के लिए लकड़ी की गाड़ी बनाकर कई बार खेला था तो उसे यही तरकीब काम आई.उसने रास्ते में बांस की एक लकड़ी से लुढ़कने वाली गाड़ी बनाई और उसमें गृहस्थी का सामान रखा और बेटी को बैठा लिया। गर्भवती पत्नी आगे चलती रही और रामू लकड़ी की गाड़ी खींचते अपनी जीवन की गाड़ी खींचता चला गया,जब तक कि मंजिल में नहीं पहुंचा।
इनका कहना है —- नितेश भार्गव,SDOP लांजी,बालाघाट को सुनें
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5 Comments
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