मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान अब चलती चलाई बेला में आ गए ? राजनीतिक जानकार कहते हैं कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश में बदलाव चाह रहा है क्योंकि उसने अन्य राज्यों में पहले यह परीक्षण किया कि मुख्यमंत्री बदलने से कोई पार्टी में बगावत तो नहीं हुई। नेतृत्व ने जब यह पाया कि कहीं भी विरोध नहीं हो पा रहा है इसलिए बेफिक्र होकर इस प्रकार का निर्णय लेने का विचार किया। भाजपा का प्रयोग गुजरात में सफल रहा पहले मुख्यमंत्री के लिए जिन नामों की अटकलें चल रही थी, उनमें कहीं भी एक बार के विधायक भूपेंद्र पटेल का नाम नहीं था, इससे पहले राज्य सरकार में मंत्री भी नहीं थे।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज में मध्यप्रदेश की दुर्दशा दिनोंदिन बढ़ती जा रही है भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ रहा है यहां तक की जानकारी मिली है कि मंत्री स्तर तक के लोग पैसे के लालच में ठेकेदारों का जो अनुबंध पूर्व में हुआ है उसकी भी छानबीन कर ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रहे हैं। भ्रष्ट व विवादित अधिकारियों को पैसों के दम पर दूसरी बार पूर्व के जिलों में भेजा जा रहा है साथ ही सड़कों की दुर्दशा भी केंद्रीय नेतृत्व की नजर से छुपी नहीं है सबसे अहम बात तो यह है कि मुख्यमंत्री अपने वादे के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व की सेवा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए इन सब कारणों से एक नए कम उम्र का नेतृत्व मध्य प्रदेश में केंद्रीय भाजपा नेतृत्व देखना चाहते हैं जो सदा उनकी जी हुजूरी में लगा रहे क्योंकि वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं एक सीनियर नेता है चार बार से मुख्यमंत्री हैं और वह अपने स्वविवेक से बड़े फैसले ले रहे है वह किसी का हस्ताक्षेप कतई बर्दाश्त नही करता इसलिए कई भाजपा नेता को लंबे समय से चुभ रहे हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व,इन्हें अपनी उंगलियों पर नचाने में असफल सिद्ध हुआ अब केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश में ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है जो उनकी इशारे पर चले ?