भोपाल. कहते हैं कि सत्ता का नशा जब चढ़ता है तो सर चढ़कर बोलता है नेता अपने रसूख को दिखाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार तक बनाए गाइडलाइन को तोड़ने में भी पीछे नहीं हटते। कुछ ऐसा ही किया भोपाल के भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने। बीजेपी विधायक एनजीटी व सरकार के आदेशों को ठेगा दिखाते हुए खुलेआम चुनौती दी है और लोगों से पटाखे फोड़ने की अपील कर रहे हैं विधायक ने मालवीय नगर स्थित बंगले के बाहर एक पोस्टर लगाया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर और सिंगरौली सहित अन्य जिलों में प्रदूषण को देखते हुए दिवाली पर मध्यप्रदेश के लोगों के लिए पटाखे फोड़ने को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई है. जिस शहर की एयर इंडेक्स क्वालिटी 101 से 200 के नीचे है, वहां सिर्फ दो घंटे ग्रीन पटाखे फोड़े जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और सरकार प्रदूषण को देखते हुए सतर्कता के साथ पाबंदियां लगा रही है लेकिन बीजेपी के विधायक खुलकर पटाखे फोड़ने की सलाह दे रहे हैं। वह भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का फोटो लगाकर।
रामेश्वर शर्मा बगले के बाहर लगाया पोस्टर
पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा का भी फोटा लगाया गया है। इसमें भोपाल विधायक रामेश्वर शर्मा की ओर से आम लोगों को दीपावली की शुभकामनाएं दी गई हैं. और नीचे बड़े अक्षरों के साथ व्यंग्यात्मक अंदाज़ में लिखा है “और हां पटाखे जरूर फोड़ें”. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब जनप्रतिनिधि खुद ही लोगों को ऐसी सलाह देंगे तो प्रदूषण पर रोक कैसे लगेगी. सरकार और कोर्ट की बात कौन सुनेगा. क्या ऐसे रुकेगा कोरोना.
सरकारी आदेश बड़ा या विधायक की अपील ?
मध्य प्रदेश के 2 जिलों में एयर क्वालिटी बेहद खराब होने के चलते दीपावली पर पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साल 2020 की गणना के मुताबिक ऊर्जाधानी सिंगरौली और ग्वालियर में हवा बेहद पुअर है. खबर लिखी जाने तक ग्वालियर में वर्तमान में AQI 160 के पार है, जबकि सिंगरौली में यह 180 से ज्यादा है. वहीं दूसरी तरफ रामेश्वर शर्मा की ओर से ये पोस्टर ऐसे समय में लगाया गया है जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मध्य प्रदेश गृह विभाग की ओर से सभी कलेक्टरों को पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है. कलेक्टरों से कहा गया है कि आदेश को सुनिश्चित कराया जाए. ऐसे में एक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि सरकारी आदेश बड़ा है या विधायक की अपील ?