पांच साल बाद भी 16 निर्माण कार्य अधूरे,प्रभारी कार्यपालन यंत्री स्टाफ के कमी का रो रहे रोना,दूसरी किश्त के लिए नहीं भेजा डिमांड पत्र
सिंगरौली 10 अगस्त। CM शिवराज सिंह के मंसूबों पर RES विभाग पानी फेर रहा है।जी हाँ डिस्ट्रिक्ट मिनरल फण्ड से मंजूर करीब 16 निर्माण कार्यों को साढ़े 5 साल बाद भी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधिकारियों ने पूर्ण नहीं कर पाया है। सभी काम आधे अधूरे हैं। प्रभारी कार्यपालन यंत्री स्टाफ के कमी का रोना बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडऩे का प्रयास कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक 19 दिसम्बर 2016 को 15 एवं 27 फरवरी 2020 को एक सहित कुल 16 निर्माण कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति जिला स्तर से ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को मिली है। इन कुल कार्यों की लागत 1-2 करोड़ नहीं बल्कि 30 करोड़ से ज्यादा की है। सभी कार्य डिस्ट्रिक्ट मिनरल फण्ड से मंजूर है। यह हाल डिस्ट्रिक्ट मिनरल फण्ड से मंजूर कार्यों का है। विभागीय व अन्य मदों के कई कार्य वर्षों से निर्माणाधीन हैं। आरईएस विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री स्टाफ के कमी का रोना रो रहे हैं। हालांकि कहीं न कहीं कार्यपालन यंत्री के बातों में दम भी है।
मौजूदा हालात में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के पास सहायक यंत्री, उपयंत्री का टोटा है। तीनों विकासखण्ड में 5-5 उपयंत्रियों व तीन सहायक यंत्रियों के पद स्वीकृत हैं। जिसमें से केवल 3 उपयंत्री ही नियमित तैनात हैं। बाकि मनरेगा के तहत संविदा के आधार पर कार्य कर रहे हैं। वह भी जनपदों में तैनात हैं। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी स्टाफ की कमी बता रहे हैं। जिसके चलते वर्ष 2016 में डीएमएफ से मंजूर करीब डेढ़ दर्जन में से एक भी कार्य पूर्ण नहीं हुए हैं। डीएमएफ दफ्तर से जो जानकारी निकलकर आयी है वह चौकाने वाली है। सभी कार्य निर्माणाधीन हैं। 5 साल बाद भी उक्त निर्माण कार्य पूर्ण क्यों नहीं हो पाये। इसका विभागीय अमले के पास कोई ठोस जबाव भी नहीं है। गोलमाल जबाव देते हुए अपनी जबावदेही से पल्ला झाडऩे का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल 5 साल बाद भी डीएमएफ से मंजूर 16 निर्माण कार्यों को आरईएस विभाग द्वारा पूर्ण न किये जाने को लेकर लापरवाह अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये जाने लगे हैं। हालांकि कलेक्टर कई बार इसकी समीक्षा भी कर चुके हैं। फिर भी विभाग के जिम्मेदार डीएमएफ से मंजूर निर्माण कार्यों को पूर्ण कराने के लिए प्रभारी कार्यपालन यंत्री संजीदा नहीं दिख रहे हैं।
इन कार्यों को मिली थी मंजूरी
19 दिसम्बर 2016 को डीएमएफ फण्ड से बस स्टैण्ड चितरंगी, मंगल साकेत के घर से आजाद चौराहा तक जीएसबी मार्ग एवं पुलिया निर्माण ग्राम पंचायत तिनगुड़ी, पेडऱा से पढ़ोर तक जीएसबी मार्ग निर्माण, ग्राम पंचायत पेडऱा, ओबरी पीडब्ल्यूडी मार्ग से बहादुर के घर तक मार्ग में स्लैब कलवर्ट निर्माण ग्राम पंचायत तिनगुड़ी, सड़क एवं पुलिया निर्माण ग्राम बसौड़ा मोड़ से बसौड़ा तक ग्राम पंचायत जोगियानी, सड़क एवं पुलिया निर्माण ग्राम बसौड़ा से चकेरी नाला तक ग्राम पंचायत जोगिनी, एकपई से धोधा सीमा मार्ग निर्माण जीएसबी रोड ग्राम पंचायत उर्ती, धोधा सीमा से धोधा मार्ग निर्माण जीएसबी रोड, केवला प्रजापति के घर से दक्षिण टोला तक मार्ग एवं पुलिया निर्माण, मार्ग निर्माण खुटार-चौरा रोड से रक्की सीमा जीएसबी सड़क एवं पुलिया निर्माण,चरगोड़ा मेन रोड से धुम्माडाड़ सीमा जीएसबी मार्ग एवं पुलिया निर्माण, धुम्माडाड़ सीमा से धुम्मा जीएसबी मार्ग एवं पुलिया निर्माण, एप्रोच रोड अमिलिया से सोनरैल मार्ग में स्लैब कलवर्ट,जीर पहुंच मार्ग में स्लैब कलवर्ट, स्लैब कलवर्ट निर्माण चकेरी नाला जरकट टोला,बिंदुल में स्लैब कलवर्ट निर्माण झरिया नाला नियर दु:खी राम बैस के घर के पास के कार्यों को मंजूरी मिली थी।
दूसरी किश्त के लिए भी नहीं भेजा डिमांड पत्र
सूत्र बताते हैं कि आरईएस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इतने लापरवाह हैं कि कोई सोचा न होगा। वर्ष 2016 में दिसम्बर महीने के आखिरी समय में 15 कार्यों की मंजूरी डीएमएफ से मिली थी। उक्त निर्माण कार्यों की अनुमानित 30 करोड़ से कम नहीं है। हैरान कर देने वाली बात सामने आयी है कि आरईएस विभाग के द्वारा दूसरी किश्त के लिए डीएमएफ दफ्तर में डिमांड पत्र भी नहीं भेजा है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आरईएस विभाग उक्त कार्यों को पूर्ण कराने रूचि नहीं ले रहा है। हाल ही के दिनों में आरईएस के कार्यपालन यंत्री ने एप्रोच रोड अमिलिया से सोनरैल मार्ग में स्लैब कलवर्ट निर्माण व जीर पहुंच मार्ग में स्लैब कलवर्ट निर्माण कार्य के लिए दूसरी किश्त प्राप्त करने डीएमएफ दफ्तर में डिमांड पत्र भेजा है। इसके पहले 5 साल तक विभाग द्वारा भुगतान के लिए कोई डिमांड पत्र भेजने की कोई जहमत नहीं उठाया।