10 अप्रैल को खरगोन में हिंसा हुई थी
प्रशासन ने 11 अप्रैल से शुरू की कार्रवाई
दिव्यांगों का गुमटी फोड़ने का आरोप
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद सुर्खियों में आए दिव्यांग वसीम शेख लगातार अपने बयान बदल रहे हैं. अब वसीम का कहना है कि उनके दुकान को या तो जिला प्रशासन ने तोड़ा है या फिर दंगाइयों ने. सीसीटीवी फुटेज देखें और उसी के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें। इससे पहले सोमवार शाम वसीम ने नगर पालिका सीएमओ प्रियंका पटेल से कहा था कि मेरे घर और गुमटी जिला प्रशासन ने इसे नहीं तोड़ा है.
बता दें कि शहर में रामनवमी के जुलूस के दौरान पथराव और आगजनी की हिंसा हुई थी. इसके बाद जिला प्रशासन ने मोहन टॉकीज के साथ दूसरे दिन यानी 11 अप्रैल को ही दंगाइयों के अवैध निर्माण को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. आनन-फानन में प्रशासन के बुलडोजर ने संजय नगर में रहने वाले वसीम शेख के दुकान को भी तोड़ दिया. वसीम के दोनों हाथ नहीं हैं। पतंग और अन्य सामान बेचकर जीवन यापन करने वाले दिव्यांग वसीम को 4 दिन बाद पता चला कि शासन की कार्यवाही में उनकी दुकान टूट गई है। मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद सुर्खियों में आए दिव्यांग वसीम शेख लगातार अपने बयान बदल रहे हैं. अब वसीम का कहना है कि उनके दुकान को या तो जिला प्रशासन ने तोड़ा है या फिर दंगाइयों ने. सीसीटीवी फुटेज देखें और उसी के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें। इससे पहले सोमवार शाम वसीम ने नगर पालिका सीएमओ प्रियंका पटेल से कहा था कि मेरे घर और गुमटी जिला प्रशासन ने इसे नहीं तोड़ा है.
गुमटी व घर प्रशासन नहीं तोडें
इस बीच नगर पालिका सीएमओ प्रियंका पटेल सोमवार शाम वसीम शेख के घर पहुंचीं। इसके तुरंत बाद एक वीडियो जारी किया गया। पीड़ित बताए जा रहे वसीम यह कहते नजर आ रहे हैं, ”मेरे नाम से अफवाहें फैलाई जा रही हैं. मेरे छोटा दुकान और घरों को जिला प्रशासन द्वारा नहीं तोड़ा गया है, इसलिए कोई अफवाह न फैलाएं और शांति जल्द से जल्द बहाल की जाए। शांति के लिए सभी सहयोग करें।” इसके साथ ही सीएमओ प्रियंका पटेल का एक वीडियो भी जारी किया गया था और उसमें कहा गया था कि वसीम का . दुकान जिला प्रशासन द्वारा नहीं तोड़ा गया है, यह अफवाह फैलाई जा रही है।
सीसीटीवी से पता करें कि कियोस्क किसने तोड़ा
इस बीच मंगलवार को विन्ध्य न्यूज से बातचीत में दिव्यांग वसीम शेख ने कहा, ”मेरे कियोस्क को जिला प्रशासन या दंगाइयों ने तोड़ा है. किसने गिराया है, सीसीटीवी फुटेज देखकर पता लगाएं और उनके खिलाफ कार्रवाई करें। पिछले 8-10 साल से मैं छोटी मोहन टॉकीज में दुकान लगाकर कुछ बेचकर गुजारा कर रहा हूं।’
पहले भी लगाए थे ये आरोप
एक दिन पहले विन्ध्य न्यूज से खास बातचीत में वसीम शेख ने दुख जताते हुए कहा था, ”जिला प्रशासन ने मेरे दुकान को गिरा दिया है, जिसमें एक छोटा सा धंधा करता था. मैं उस दुकान में कैंडी बेचता था और अपने पांच लोगों के परिवार का भरण-पोषण करता था।’
दिव्यांग वसीम के परिवार में 5 लोगों
बता दें कि 35 वर्षीय वसीम शेख को 2005 में करंट लग गया था। हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसके दोनों हाथ काटने पड़े। दिव्यांग वसीम के परिवार में 5 सदस्य हैं और सभी उस दुकान पर निर्भर रहते थे जिसे सरकारी बुलडोजर से गिरा दिया गया था। वसीम शेख दो बच्चों के पिता हैं। वह बहुत ही गरीब परिवार से थे तथा उसके एक छोटी सी गुमटी को तोड़कर उनके रोजी रोटी पर संकट खड़ा कर दिया है।