महिला नसबंदी कैंप मे दिखी अव्यवस्था, दिन ढलने के पहले हो जाने बाला आपरेशन, शाम 8 बजे से शुरू होकर रात्रि 11 बजे तक चला, मरीज आटो में बैठ तो परिजन लटकर घर जाने मजबूर ,ठंड में ओढने तक के लिए नहीं मिला कुछ भी, ऐ कैसी स्वास्थ्य व्यवस्था?
बिहारी लाल गुप्ता,भुईमाड़ सीधी
भुईमाड़ सीधी — जिले के आदिवासी विकासखंड कुशमी प्राथामिक स्वास्थ्य केन्द्र भुईमाड़ अस्पताल देखकर आपको लगेगा नहीं कि आप 21वीं सदी में जी रहे हैं. सरकार और प्रसाशन बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं होने के कितने ही दावे कर ले, लेकिन स्थिति बदतर ही है. कुशमी प्राथामिक स्वास्थ्य केन्द्र भुईमाड़ अस्पताल में नसबंदी का ऑपरेशन करा रही महिलाओं की हालत आपसे देखी नहीं जाएगी. ऐसा कहने के पीछे वजह है कि इन महिलाओं को कड़कड़ाती ठंड में जमीन पर सुलाया जा रहा है. इनके परिजनों को बैठने तक की भी व्यवस्था नहीं की गई थी हैरानी इस बात की है कि नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिला है ऑटो में लटक अपने घर जाने को मजबूर हुई।
बता दें कि जिले के आदिवासी विकासखंड कुशमी प्राथामिक स्वास्थ्य केन्द्र भुईमाड़ मे बुधवार को महिला नसबंदी कैंप का आयोजन किया गया था, जहां भारी अव्यवस्था देखने को मिली, एक ओर जहां सरकार की मंशा होती हैं कि आदिवासी बाहुल्य इलाकों में बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया हो,लेकिन सीधी जिले के आदिवासी विकासखंड कुशमी के भुईमाड़ क्षेत्र मे सरकार के मंशा के विपरीत कार्य किया जा रहा है, आपको बता दें कि महिला नसबंदी कैंप का आयोजन किया गया था, जिसमें 20 लोगों का आपरेशन किया गया है।, जहां दिन ढलने के पहले खत्म हो जाने वाले आपरेशन को दिन ढलने के बाद शाम को 8 बजे के काफी देर बाद शुरू होकर रात्रि 11 बजे तक आपरेशन चला। ठंड के मौसम में मरीजों को रात भर यूं ही जमीन पर गद्दा के ऊपर दरी विछा कर लेटा दिया गया था।कम से कम उन्हें एक पलंग तो मुहैया कराया ही जा सकता है. अस्पताल प्रबंधन भले बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात करता हो, लेकिन उसके दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं.
ठंड में खूब ठिठुरी महिलाएं
ग्रामीण अंचल होने के साथ ही प्राथामिक स्वास्थ्य केन्द्र भुईमाड़ जो आपरेशन केन्द्र बनाया गया था, वहां से देवरी बांध महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित है। जिसके चलते ऑपरेशन करवाने आई महिला व उनके परिजन ठंड में खूब ठिठूरे। बांध नजदीक होने के वजह से ठंड और भी ज्यादा थी, लेकिन मरीजों को ओढ़ने के लिए कुछ भी नहीं मिला था, तो मरीजों के परिजनों को क्या मिला होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ मरीज ठंड से बचने के लिए कंबल व दरी घर से लाये हुए थे, जो घर से नहीं लायें हुए थे वो ऐसे ही ठंड में रह गए। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है बल्कि पूर्व में भी हुए नसबंदी ऑपरेशन में कमोबेश यही हाल है रहे हैं। ऐसे तो सबाल खडा़ होता है कि आखिर ऐसी लापरवाही कब तक चलती रहेगी।
ऑटो में लटक कर महिलाएं पहुंची घर
अस्पताल प्रबंधन अव्यवस्थाओं के बीच नसबंदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया ऑपरेशन के बाद महिलाएं ऑटो से अपने घर गई इस दौरान कई परिजनो की बेबसी साफ तौर पर देखी गई महिलाएं ऑटो से लटक कर अपने घर जाने को मजबूर हैं लेकिन जिम्मेदारों का कलेजा जरा भी नहीं पसीजा की परिजनों को सही सलामत उनके घर तक छोड़ दें।