छतरपुर के बकस्वाहा के जंगल में 3.42 करोड़ कैरेट के हीरे मिलने की संभावना जताई जा रही है लेकिन इन हीरों के लिए लगभग एक लाख से ज्यादा पेड़ काटने होंगे दरअसल छतरपुर के बकस्वाहा क्षेत्र के जंगल है वहां हीरे निकालने के लिए प्रोजेक्ट के तहत 382 हेक्टेयर का जंगल चिन्हित किया गया है जहां बहुतायत में पेड़ काटे जाएंगे खासकर नाले के आसपास के क्षेत्र में ज्यादा हीरे मिलने की संभावना जताई जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार हीरा खदान के लिए 62 हेक्टेयर जंगल चिन्हित किया गया है प्रोजेक्ट के तहत 380 हेक्टेयर जंगल साफ करने की तैयारी कर ली गई है बताया जा रहा है कि यह खदान पन्ना की मजगामा खदान में 22 लाख कैरेट हीरे हैं अब बक्सवाहा की इस जमीन से करीब 15 गुना ज्यादा ही निकलने की बात कही जा रही है इसलिए प्रदेश सरकार ने आदित्य बिड़ला समूह को 50 साल के लिए पट्टे पर यह जमीन दे रही है।
बता दें कि बक्सवाहा के इस जंगल में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का हनुमान है अब इन्हें निकालने के लिए 380 हेक्टेयर का जंगल खत्म किया जाएगा इसके लिए वन विकास ने जंगल के पेड़ों की गिनती भी की है जहां करीब एक लाख से ज्यादा के पेड़ बताए जा रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा पेड़ सागौन के हैं। इसके अलावा 3 पीपल तेंदू जामुन बहेड़ा अर्जुन जैसी औषधि पेड़ भी है अभी तक देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार पन्ना जिले में है यहां जमीन में कुल 22 लाख कैरेट के हीरे है इनमें से 13 लाख कैरेट हीरे निकाले जा चुके हैं। वही 900000 कैरेट हीरे और निकालना बाकी है।
बताया जा रहा है कि 20 साल पहले बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस स्थान का सर्वे शुरू हुआ था 2 साल पहले सरकार ने इस जंगल की नीलामी की आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगाई और प्रदेश सरकार यह जमीन इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दे दी।
बक्सवाहा के जंगल में 62 पॉइंट 64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए खदान चिन्हित है यहीं पर कंपनी ने 382 .18 हेक्टेयर का जंगल मांगा है बाकी 204 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खनन करने और प्रोसेस के दौरान खदानों से निकलने वाली ओवी डंपर करने में करेगी। कहां जा रहा है कि इस काम में कंपनी करीब 25 सौ करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
इस खदान के लिए 2017 में ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिंटो ने खनिज लीज के लिए आवेदन किया था लेकिन एक संशोधित प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतिम फैसले से पहले ही रियो टिंटो ने यहां काम करने से हाथ पीछे खींच लिए जिसके बाद यह खदान आदित्य बिड़ला समूह की एसेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने लीज पर ली है।
वही छतरपुर डीएफओ की माने तो उन्होंने सर्वे कर रिपोर्ट सौंपी है जिसमें एक लाख से ज्यादा पेड़ यहां पर खदान की परिधि में आ रहे हैं इन्हें काटा जाएगा लेकिन उनका कहना है कि इतने ही पेड़ राजस्व भूमि पर लगाए भी जाएंगे वही जब उनसे यह पूछा गया कि इस जंगल में जंगली जानवर भी हैं तो उनका कहना था कि कोई ऐसा जानवर होने के संकेत नहीं मिले हैं वहीं उन्होंने कहा अभी इस पूरे प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगी है लेकिन वन विभाग ने यह सर्वे रिपोर्ट सौंप दी है।
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