Singrauli is the power house of MP – जनसुनवाई बेअसर,खैरहवा टोला में नहीं पहुंची बिजली जनवरी महीने के प्रथम सप्ताह में कलेक्टर की जनसुनवाई में ग्रामीणों ने सुनाई थी समस्याएं
सिंगरौली MP मध्यप्रदेश के टॉप औद्योगिक जिलों में शुमार सिंगरौली पर देश का तीसरा सबसे पिछड़ा जिला होने का दाग लगा था जो आज भी महसूस हो रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह एक सीमित एरिया बैढ़न तक ही विकास होना है. बैढ़न से बाहर निकलते ही पिछड़ापन देखा जा सकता है. MP
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बता दें कि सिंगरौली से देश और प्रदेश को बिजली मिल रही है. यहां पांच पावर प्लांट में 35 हजार मेगावाट से ज्यादा की बिजली पैदा की जा रही है, लेकिन इससे 80 किमी दूर के ही गांव अंधेरे में हैं.जी हां चितरंगी तहसील क्षेत्र के खैड़ार गांव के खैरहवा टोला में आज तक बिजली न पहुंचने से करीब एक दर्जन से ज्यादा आदिवासी परिवार अंधेरे में रहने के लिए मजबूर हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि सौभाग्य योजना के तहत ढाई वर्ष पूर्व विद्युत के पोल तो गाड़ दिये गये थे, लेकिन दुर्भाग्य है की आज तक इन खंभों में बिजली के केबल नजर नहीं आ रहे हैं. जबकि 4 जनवरी को कलेक्टर की जनसुनवाई में ग्रामीणों ने अपनी शिकायत सुनाया था और प्रशासन ने आश्वस्त किया था कि उक्त समस्या का शीघ्र निदान किया जायेगा. फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.
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दरअसल चितरंगी विकासखण्ड अंतर्गत खैड़ार गांव के खैरहवा टोला के एक दर्जन से अधिक आदिवासी ग्रामीणों ने नवभारत संवाददाता से चर्चा करते हुए बताया कि ढाई वर्ष पूर्व सौभाग्य योजना के तहत बिजली विभाग अमले के द्वारा बिजली के लिए खंभे तो गड़वा दिये गये लेकिन आज तक इन खंभों में बिजली के लिए केबिल व ट्रांसफार्मर नहीं लगाये गये। आलम यह है कि करीब एक दर्जन से ज्यादा हम आदिवासियों के घरों में आज तक बिजली न पहुंचने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. MP
इस भीषण गर्मी में जहां दिन-रात गुजारना पड़ रहा है. वहीं हमारे बच्चे भी अपनी पढ़ाई चिमनी, लालटेन व मोमबत्ती के सहारे करने के लिए विवश हैं। कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सहित जिले के अधिकारियों को इसकी जानकारी भी दी गयी, लेकिन आज तक गड़े इन खंभों में किसी ने भी बिजली के तार व ट्रांसफार्मर लगाये जाने का प्रयास नहीं कराया. ग्रामीणों ने कलेक्टर व स्थानीय जनप्रतिनिधियों का एक बार फिर ध्यान आकृष्ट कराते हुए गांव में बिजली व्यवस्था कराये जाने की मांग किया है. MP