सतना — रैगांव विधानसभा सीट में उपचुनाव की सरगर्मी अब सिर चढ़कर बोलने लगी है, रैगांव क्षेत्र की जनता बुनियादी सुविधाओं को लेकर सड़को पर उतर आई है। खड़ौरा, दिदौन्ध, उदय सागर के बाद रार गांव के ग्रामीण लामबंद होकर सड़को पर उतर आये है, रोड़ नही तो वोट नही का नारा बुलंद कर सरकार और नेताओं को कड़ा संदेश दे रहे है, गांव में उपचुनाव के दौरान नेताओ को गांव में आने की नो एंट्री लगा दिया है, गांव के बुनियादी विकास लिये नेताओ की बाजय ग्रामीण भगवान की शरण मे चले गये है।
आपको बता दें कि आजादी के बाद से यह गांव बुनियादी सुविधाओं से महरूम है, 15 हैण्डपम्प है लेकिन पानी नही है, ग्रामीण हैण्डपम्प में मवेशी बांध रहे है, बारिश में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है, नाले को पार कर ग्रामीण गांव जाते है, दलदल भरी कच्ची सड़क ग्रामीणों की नियति बन गई है, विकास से अछूते इस गांव अपनी बेबसी पर आंसू बहाने को मजबूर है, पांच बार से रैगांव सीट में भाजपा जीतती आई है, उपचुनाव में ग्रामीण अभी से लामबंद होकर नेताओं की गांव में आने पर प्रतिबंध लगा दिया है साथ ही भारतीय जनता पार्टी को हराने की बात कह रहे है ।
जिले के रैगांव विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक एवं मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद अब रैगांव विधानसभा क्षेत्र में सियासी सरगर्मियां बढती ही जा रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव के पहले 14 जुलाई को सतना जिले के रैगांव विधानसभा के ग्रामीणों ने वोट नही तो वोट नही का नारा बुलंद कर सतना सेमरिया मार्ग को जाम कर दिया था। यह चका जाम लगभग चार घन्टे चला जिसके बाद मौके पर पहुंचे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की समझाइश के बाद ग्रामीणों ने नरमी दिखाई और जाम खोल।