सीधी। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित मड़वास उप तहसील में दलालों का अड्डा बन चुका है जहां राशन कार्ड बनवाने बीपीएल में नाम जोड़ने जमीन संबंधी फैसला, जमीनी नामांतरण,बटवारा तथा राजस्व विभाग के काम करवाने के नाम पर ग्रामीणों से अवैध वसूली की जा रही है। रीवा लोकायुक्त कार्यवाही तेज होने के बाद मड़वास उप तहसील में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी वसूली का जिम्मा प्राइवेट आदमियों को दे दिए हैं।दलाल तहसीलदार का खास आदमी बताकर आम जनता से पैसे की वसूली करता है। पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब धनसेर गांव का एक परिवार सीधी कलेक्ट्रेट पहुंच कलेक्टर से आप बीती बता कर कार्रवाई की गुहार लगाई।
ये है पूरा मामला
मड़वास चौकी अंतर्गत धनशेर निवासी बाल सुग्रीव जयसवाल अपनी पत्नी के साथ कलेक्ट्रेट पहुंच कलेक्टर से दलाल से बचाने और बीपीएल में नाम जोड़ने के लिए गुहार लगाई है उसने कहा कि हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं जहां भरण पोषण के लिए मैं मध्य प्रदेश के बाहर राज्यों में काम की तलाश में जाता हूं। पीड़ित ने बताया कि हमारी पत्नी से अशोक मिश्रा नामक व्यक्ति ने पांच हज़ार रुपये खाद्यान्न पर्ची बनवाने के नाम पर ले लिया लेकिन आज 1 साल बीत जाने के बाद भी उसका नाम बीपीएल सूची में नहीं जुड़ पाया बीपीएल सूची में नाम नहीं जोड़ने पर पीड़ित ने जब दलाल से अपने दिए हुए पैसे मांगे तो वह देने से न केवल इनकार किया बल्कि उस और 3000 रुपए देने की बात कही। अब परेशान होकर पीढ़ी कलेक्टर फरियाद लगाना पहुंचा है।
अधिकारी प्राइवेट लोगों से करवा रहे अवैध वसूली
पीड़ित ने बताया कि अशोक मिश्रा ना केवल मड़वास तहसील में बाबू के साथ उठना बैठना है बल्कि नायब तहसीलदार के साथ भी फील्ड में आता जाता है। जिसके वजह से ग्रामीणों को राशन कार्ड बनवाने बीपीएल में नाम जुड़वाने, नामांतरण, बंटवारा, जमीनी विवाद में स्टे सहित राजस्व विभाग में काम करवाने के नाम पर वसूली करता है। सूत्र बताते हैं कि अशोक मिश्रा किसी भी पद पर नहीं है वह तहसीलदार तथा बाबुओं का कारखाना अधिकारी भी इसी बसूली करवाते हैं कहा जाता है कि रीवा लोकायुक्त इन दिनों भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई तेज कर दी है यही वजह है कि अधिकारी सीधे तौर पर रिश्वत ना लेकर प्राइवेट लोगों के जरिए बसूली करवाते हैं इससे उन्हें पकड़े जाने का खतरा भी कम रहता है फिलहाल पीड़ित की शिकायत के बाद देखना होगा की संबंधित दलाल समेत भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कब तक कार्यवाही हो पाती है।