सिंगरौली 31 मार्च। भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर नेट के परीक्षा परिणाम में सिंगरौली मुख्यालय से सुदूर चितरंगी के खटाई निवासी किसान पुत्र महेंद्र कुमार केवट ने देश में 29 वां और मध्यप्रदेश में 6 वां स्थान लाकर सोनांचल चितरंगी सहित सिंगरौली जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। सीएसआईआर नेट में उत्तीर्ण होने के बाद महेंद्र केमिकल साइंस का असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया। महेंद्र की इस उपलब्धि पर चितरंगी विधायक सहित तमाम लोगों ने शुभकामनाएं दी है।
चितरंगी निवासी अनीश कुमार केवट के पुत्र महेंद्र कुमार केवट ने वह कर दिखाया जिसे करना तो दूर अटेम्प करने में पसीने छूट जाता है। ऐसे कठिन सीएसआईआर नेट की परीक्षा को किसान पुत्र महेंद्र ने सारी परेशानियों व अभावों को दरकिनार कर देश में 29 वां व प्रदेश में 6 वां स्थान अर्जित कर सहायक प्रोफेसर बन गया। जिले के सोनांचल निवासी किसान पुत्र की इस उपलब्धि पर फोन, मोबाइल व घर पर पहुंच कर बधाई देने वाले शुभचिंतकों का तांता लग गया। इस उपलब्धि पर चितरंगी विधायक अमर सिंह, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव अमित द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र धर द्विवेदी, जिला मंत्री प्रवेंद्र धर द्विवेदी, शंकराचार्य पाठक, चितरंगी टीआई डीएन राज, हर्ष सिंह व अन्य कई लोग घर पहुंचकर महेन्द्र को बधाई दिया।
कालेज के प्रोफेसरो से मिली प्रेरणा
नवभारत से बात करते हुए महेंद्र कुमार ने बताया कि वह जब 2014 से 2017 तक एसआईटी कालेज से बीएससी करने के दौरान वहां के प्रोफेसरो से प्रेरित हुआ और संजय गांधी कालेज से 2019 में एमएससी करने के बाद उच्च संस्थान में प्रोफेसर बनने के लिए सीएसआईआर नेट परीक्षा की तैयारी में लग गया और कड़ी मेहनत व शिक्षकों के मार्गदर्शन व माता-पिता के आशीर्वाद से परीक्षा उत्तीर्ण कर पाया।
माता-पिता किसान, घर में माकूल सुविधाओं का अभाव
गौरतलब हो कि सीएसआईआर नेट की परीक्षा उत्तीर्ण कर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद में नियुक्त बतौर सहायक प्रोफेसर महेंद्र कुमार केवट मूलत: चितरंगी ब्लॉक अंतर्गत ग्राम ओडऩी खटाई का निवासी है और माता-पिता किसान हंै। चार भाई, बहनों में सबसे बड़े महेंद्र ने किसान माता-पिता के सपने को पूरा कर उच्च संस्थान का प्रोफेसर बन गया। ऑल इंडिया लेवल पर 29 वां व मध्यप्रदेश में 6वां रैंक लाने पर मिल रही शुभकामनाओं से प्रफुल्लित महेंद्र ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता, गुरु, दोस्त व स्कूल मित्र जूनियर व सीनियर को दिया।