सिंगरौली 9 अप्रैल। शहर में अगर कोई वारदात हो जाती है तो सबसे पहले पुलिस का ध्यान सीसीटीवी की ओर जाता है। लेकिन पुलिस विभाग अपने खर्च से ही लगवाए गए सीसीटीवी का ध्यान नहीं रख पाया, जिसके चलते शहर की तीसरी आंख को मोतियाबिंद हो चुका है। अगर समय रहते इसका ऑपरेशन नहीं हुआ तो किसी दिन पुलिस को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। शहर में लगे 28 सीसीटीवी कैमरों में से एक भी नहीं चल रहा है। इस पर किसी का इस ओर ध्यान नहीं है। अफसर भी इसकी सुध नहीं ले रहे। चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे शोपीस बनकर रह गए हैं।
बता दे कि अपराधों पर अंकुश लगाने व साक्ष्य जुटाने के उद्देश्य से बैढऩ एवं विन्ध्यनगर में पुलिस के द्वारा करीब 147 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं, किन्तु माजन मोड़ सहित करीब दो दर्जन से अधीक सीसीटीवी कैमरे शो-पीस बने हुए हैं। इन कैमरों की मानीटरिंग व देख-रेख करने का जिम्मा ओरिएंट प्रो के संविदाकार को है।
दरअसल पिछले माह माजन मोड़ में नगर पालिक निगम सिंगरौली के एक संविदा चालक राजेन्द्र कुमार सिंह की अकाल मौत हो गयी थी। सड़क पार करते समय एक कोल वाहन ने कुचल दिया था। पहले कहा जा रहा था कि संबंधित दुर्घटनाग्रस्त वाहन रेत का परिवहन करने जा रहा था। लेकिन बाद में पता चला कि वह रेत नहीं कोयला परिवहन का काम करता था। परसौना से माजनमोड़, निगाही होकर कोल परिवहन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके बावजूद खाकी बर्दी की मिलीभगत से कोल वाहनों का आना-जाना लगा रहता था। सड़क हादसे के दिन माजनमोड़ में पुलिस के द्वारा लगाये गये अधिकृत कैमरों के फुटेज को खंगालने का काम जब शुरू हुआ तो पता चला कि माजनमोड़ में अधिकांश सीसीटीवी कैमरे बंद हैं। यह कैमरे कब से बंद हैं पुलिस विभाग के अधिकारी गोलमाल जबाव देकर अपनी जबावदेही से पल्ला झाड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि माजनमोड़ स्थित कैमरे आज से नहीं कई महीनें से बंद पड़े हुए हैं। इसे सुधार कराने के लिए पुलिस अधिकारियों ने जहमत ही नहीं उठायी। पुलिस की लापरवाही भी सामने आयी है। हालांकि पुलिस यह भी बताने के लिए तैयार नहीं थी कि यहां के 147 कैमरों में से कितने खराब हैं। पुलिस के अंदर तहखाने से जानकारी बाहर निकली की दो दर्जन से ज्यादा कैमरे शो-पीस बने हुए हैं। फिलहाल लाखों रूपये की लागत से अपराधों के साक्ष्य जुटाने व अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए लगाये गये कैमरों को शीघ्र सुधार कराये जाने की मांग शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र कुमार सिंह का ध्यान आकृष्ट कराया है।
एक कैमरे की कीमत ढाई से तीन लाख
शहर में तकरीबन 147 सीसीटीवी कैमरे पुलिस की मांग पर लगाये गये हैं। प्रमुख चौराहा उत्कृष्ट विद्यालय, बस स्टैण्ड, इंदिरा चौक, अम्बेडकर चौक, कोतवाली परिसर, एसबीआई, बैंक के आस-पास, मस्जिद चौक, कॉलेज चौक, कान्वेंट चौराहा, माजन मोड़ सहित ऐसे कई प्रमुख भीड़-भाड़ स्थानों पर कैमरे लगाये गये हैं। जिसकी कीमत ढाई से साढ़े तीन लाख रूपये बतायी जा रही है। इन कैमरों के देख-भाल का जिम्मा ओरिएंट प्रो संविदाकार को है। इसके बावजूद बंद पड़े कैमरों के कारणों का पतासाजी कर चालू कराने पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी नहीं कर रहे हैं।
माजनमोड़ के कैमरे बंद,तरह-तरह की चर्चांए
माजनमोड़ में कई सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यहां के सभी कैमरे चालू हालत में नहीं हैं। इसके पीछे कारण क्या है पुलिस के अधिकारी गोलमाल जबाव दे रहे हैं। चर्चाएं हैं कि इसी मार्ग से अधिकांश कोल वाहनों का आना जाना है। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम ने कोल वाहनों के आने जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है। बावजूद इसके कोल वाहनों का गुप चुप तरीके से आना जाना लगा रहता है। चर्चाओं के मुताबिक कोल वाहनों के परसौना, माजनमोड़, निगाही होकर आने जाने से खाकी बर्दी की अतिरिक्त कमाई का साधन बना हुआ है और इस कमाई को किसी भी हालत में पुलिस छोडऩा नहीं चाहती। शायद इसीलिए कैमरे बंद भी हैं ताकि वाहनों के आने जाने की पतासाजी न हो सके। इन बातों में कितना दम है इस पर कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगी।