सिंगरौली 15 अप्रैल। नगर पालिक निगम सिंगरौली में प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी में गड़बड़झाला होने का आरोप लगाते हुए निगमायुक्त आरपी सिंह ने सहायक यंत्री, नोडल अधिकारी प्रधानमंत्री आवास योजना आरके जैन निलंबित कर दिया है। सहायक यंत्री पर 7 बिंदुओं का आरोप मढ़ा गया है। इस कार्रवाई को लेकर सहायक यंत्री ने गंभीर सवाल खड़ा करते हुए पक्षपातपूर्ण बताया है।
दरअसल नगर पालिक निगम सिंगरौली में प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी के अंतर्गत शासन द्वारा ईडब्ल्यूएस आवास गृहों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी थी। आरोप है कि प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी के आवंटन में व्यापक गड़बडिय़ां की गयी हैं। इसकी शिकायत मिलने पर कलेक्टर ने आयुक्त को निर्देशित कर जांच टीम गठित करने के लिए कहा था। जिसके तारतम्य में आयुक्त ने कार्यपालन यंत्री विद्युत व्हीपी उपाध्याय, उपायुक्त आरपी बैस एवं लेखा एवं वित्त सत्यम मिश्रा के साथ तीन सदस्यीय टीम गठित किया। इस दौरान गठित जांच समिति के जांच प्रतिवेदन उपरांत निगमायुक्त ने सहायक यंत्री आरके जैन को दोषी मानते हुए अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया है। निगमायुक्त के इस कार्रवाई से नगर निगम के अधिकारियों में हड़कम्प मच गया है। वहीं अब इस कार्रवाई को लेकर निलंबित सहायक यंत्री ने पक्षपात एवं भेदभावपूर्ण कार्रवाई करने का सनसनीखेज आरोप मढ़ दिया है। निलंबित सहायक यंत्री ने जांच समिति पर कई गंभीर आरोप मढ़ दिया है और कहा है कि जांच में ऐसे सदस्य शामिल थे। जिन्होंने अपने सास, साला सहित अन्य रिश्तेदारों को आवास का लाभ पहुंचाया है। इन्हें जांच कमेटी से बाहर क्यों नहीं किया गया। जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं की गयी है। सुनियोजित तरीके से मुझे फसाया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के आवंटन में गड़बड़ी करने वाले सूत्रधार कौन हैं? यह भी बेपर्दा होगा। फिलहाल निगमायुक्त के उक्त कार्रवाई को लेकर सहायक यंत्री ने कई सवाल खड़ा किया है। नगर निगम में अब गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है। नगर निगम के कथित अधिकारियों के काले कारनामों का भी बेपर्दा होगा।
सहायक यंत्री पर इस आधार पर हुई कार्रवाई
पीएम आवास योजना में जांच टीम के प्रतिवेदन को आधार मानते हुए सहायक यंत्री पर अनियमितता का आरोप लगाया है। निलंबन की कार्रवाई में 7 बिंदुओं का जिक्र किया है। जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 1035 हितग्राहियों की सूची का अनुमोदन कलेक्टर से प्राप्त करने के पश्चात 740 हितग्राहियों को आवास आवंटन किया गया है शेष 464 हितग्राहियों के नाम अनुमोदित सूची में न होने के बावजूद भी आवास आवंटित किये गये हैं। आवास आवंटन के लिए प्रथम बार लाटरी सिस्टम से उपलब्ध सूची अनुसार 316 हितग्राहियों को आवास आवंटन हेतु लाटरी निकाली गयी थी, किन्तु उक्त लाटरी को बिना सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के ही निरस्त मानकर संपूर्ण आवासों को विधि विरूद्ध आवंटन किया गया है। कार्यालय द्वारा 26 सितम्बर 2019 को पुन: लाटरी निकालने के लिए समिति का गठन किया, किन्तु लाटरी निकालने की प्रक्रिया से संबंधित अभिलेख पंजी आदि संधारित नहीं किया गया। हितग्राहियों को आवंटन आदेश बिना सक्षम स्वीकृति प्राप्त किये ही नोडल अधिकारी द्वारा स्वयं हस्ताक्षर कर जारी किये गये हैं। हितग्राहियों से दो लाख रूपये जमा कराया जाना था, किन्तु किस रसीद से कितनी राशि जमा करायी गयी है स्पष्ट जानकारी नहीं है। स्थल निरीक्षण में पाया गया है कि 20 आवासों में मूल हितग्राही न रहकर किराये पर दिये गये हैं जो नियमों के प्रतिकूल है। जांच में यह भी पाया गया है कि हितग्राहियों के आवासों को मनमाने ढंग से फेरदबल कर अदला बदली किया गया है।
नगर निगम में गुटबाजी हावी!
सहायक यंत्री आरके जैन को निलंबित किये जाने के बाद नगर निगम में गुटबाजी को बल मिलने लगा है। भले ही नगर निगम के अधिकारी गुटबाजी को सिरे से खारिज करने का प्रयास कर रहे हों लेकिन लोगबाग इसे मानने को तैयार नहीं हैं। सूत्र यहां तक बता रहे हैं कि सहायक यंत्री एवं प्रभारी कार्यपालन यंत्री आरके जैन पर कार्रवाई करने की योजना आज से नहीं कई महीने से बनायी जा रही थी। पीएम आवास योजना में गड़बड़झाला एक बहाना है। श्री जैन को कुछेक अधिकारी कामकाज में रोड़ा मान रहे थे और उसी नीति के तहत उन पर कार्रवाई करायी गयी है।
तत्कालीन कार्यपालन यंत्री पर कार्रवाई क्यों नहीं
निलंबित सहायक यंत्री आरके जैन ने निगमायुक्त के कारण बताओ सूचना का जबाव दिया है। कारण बताओ सूचना के जबाव में कार्रवाई को लेकर ननि आयुक्त को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कहा है कि पीएम आवास योजना के अंतर्गत हितग्राहियों के पंजीयन का कार्य 12 जुलाई 2017 से 30 नवम्बर 2018 तक नहीं बल्कि ननि द्वारा नियुक्त समिति द्वारा 7 अप्रैल से प्रारंभ होकर निरंतर प्रचलन में थी। कलेक्टर के द्वारा 1035 हितग्राहियों के सूची का अनुमोदन किया गया था। जिसमें 740 हितग्राहियों को आवास का आवंटन किया गया है। शेष 464 हितग्राहियों का नाम कलेक्टर द्वारा अनुमोदित सूची नहीं होने के पश्चात 464 हितग्राहियों आवास गृह आवंटित किया गया है। एएचपी आवास गृहों का आवंटन का आदेश तत्कालीन कार्यपालन यंत्री व्हीपी उपाध्याय के द्वारा जारी किया गया था। साक्ष्य के रूप में 174 आवंटन आदेश भी जबाव में छायाप्रति संलग्र किया गया है। इसके अलावा यह भी आरोप है कि उक्त योजना के अंतर्गत हितग्राहियों की राशि जमा करने संबंधी पंजी एवं आवंटन संबंधी जानकारी पोर्टल पर दर्ज है। जिसके प्रभारी विकास श्रीवास्तव सहायक ग्रेड-3 तत्कालीन शाखा लिपिक थे। इनसे जानकारी ली जानी चाहिए, लेकिन यहां पर मेरे जबाव को अनुसूनी कर एकतरफा कार्रवाई कर दी गयी है। इस संबंध में तत्कालीन कार्यपालन यंत्री व्हीपी उपाध्याय एवं विकास श्रीवास्तव सहायक गे्रड-3 से कोई जबाव तलब नहीं किया गया। कहीं न कहीं इस कार्रवाई में भेदभावपूर्ण नजर आ रही है।